Last Updated: Wednesday, November 30, 2011, 07:06
नई दिल्ली : देश की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 6.9 प्रतिशत रह गई।
यह नौ तिमाहियों की सबसे कम वृद्धि है। अर्थव्यवस्था की इस गति को देखते हुए सरकार ने अप्रैल-मार्च 2011-12 की वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। जुलाई सितंबर 2011-12 की तिमाही की वृद्धि दर में गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण तथा खनन क्षेत्र के कारण है। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन भी इस दौरान नरम रहा।
जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़े आने के बाद वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, पिछली दो तिमाहियों के रुझान को देखते हुए मुझे (2011-12) में जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने की अपेक्षा है। बीते वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए अपनाई गई कड़ी मौद्रिक नीति के कारण आलोच्य तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रह गई जो 2010-11 की समान अवधि में 7.8 प्रतिशत थी।
आलोच्य तिमाही में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन भी खराब रहा और इसकी वृद्धि दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई जो पिछले साल 5.4 प्रतिशत थी। खनन व उत्खनन क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य तिमाही में 2.9 प्रतिशत रही जो पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही में आठ प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार निर्माण क्षेत्र की वृद्धि इस अवधि में घटकर 4.3 प्रतिशत रह गई जो गत वर्ष इसी अवधि में 6.7 प्रतिशत थी। बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी।
मुखर्जी ने कहा, हमारे समक्ष कई तरह की समस्याएं हैं। यूरोप व अमेरिका में कमजोर वृद्धि, देश के भीतर और बाहर की समस्याएं। उन्होंने कहा, हमें हालात से जूझने की कोशिश करनी होगी और देखना होगा कि इन हालात में हम क्या श्रेष्ठ कर सकते हैं। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2011-12 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में संचयी जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही जो पिछले साल 8.6 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक वैश्विक मंदी तथा उंची मुद्रास्फीति को देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को पहले ही घटाकर 7.6 प्रतिशत कर चुका है जबकि पहले यह आठ प्रतिशत था।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 30, 2011, 21:11