टुकड़ों में स्पेक्ट्रम बांटने से बढ़े टावर: वोडाफोन

टुकड़ों में स्पेक्ट्रम बांटने से बढ़े टावर: वोडाफोन

टुकड़ों में स्पेक्ट्रम बांटने से बढ़े टावर: वोडाफोन नई दिल्ली : भारत में इतनी अधिक संख्या में दूरसंचार टावरों की जरूरत नहीं होती यदि सरकार ने टुकड़ों में स्पेक्ट्रम वितरण नहीं किया होता। यह बात वोडाफोन इंडिया के प्रमुख मार्टेन पीटर्स ने आज कही।

उन्होंने कहा ‘‘यदि सरकार ने टुकड़ों-टुकड़ों में स्पेक्ट्रम का वितरण नहीं किया होता तो देश में काम पांच लाख से कम टावरों में भी चल जाता।’’ उन्होंने कहा कि दूरसंचार उद्योग के सामने कुछ बड़े मुद्दे हैं और उनमें से एक है टावर की कार्बन उत्सर्जन सीमा, टावर चलाने के लिए डीजल का उपयोग जो सीधे तौर पर देश की उर्जा नीति से जुड़ा है।

पीटर्स ने कहा ‘‘यदि हमारे पास बिजली आपूर्ति की विश्वसनीय व्यवस्था होती है तो निश्चित तौर पर हम डीजल का उपयोग नहीं करेंगे।’’ पांच लाख से अधिक टावर सरकार की स्पेक्ट्रम बांटने की नीति का नतीजा हैं।

पीटर्स ने कहा, ‘‘उसी तरह का नेटवर्क अक्सर तैयार करना होता, कई कंपनियां हैं और इन सबके पास कम स्पेक्ट्रम है जिसका मतलब है कि आपको अक्सर उसी तरह के टावर बनाने होंगे।’’ उन्होंने कहा कि यदि स्पेक्ट्रम अधिक होता, तो उद्योग कम टावर के साथ नेटवर्क कवरेज मुहैया करा सकता है।

पीटर्स ने कहा ‘‘इस सबका असर कार्बन उत्सर्जन पर पड़ता है।’’ वोडाफोन ने आज ‘फुटप्रिंट्स-2’ 2012 रपट जारी की और कहा कि वह 1,182 टावरों के लिए ईंधन उत्प्रेरक का इस्तेमाल करती है जिससे आठ से 10 फीसद कार्बन उत्सर्जन कम होता है।

इस रपट को जारी करते हुए दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘इस तरह की पहल से उनकी भारत के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर होती है और मुझे भरोसा है कि यह और बढ़ेगी।’’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 15, 2013, 21:30

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