डीजल 5 रुपए लीटर महंगा, रसोई गैस पर कोटा सिस्टम लागू

डीजल 5 रुपए लीटर महंगा, रसोई गैस पर कोटा सिस्टम लागू

डीजल 5 रुपए लीटर महंगा, रसोई गैस पर कोटा सिस्टम लागूज़ी न्यूज़ ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक साहसिक फैसला करते हुए सरकार ने गुरुवार को डीजल के दामों में 5 रुपए प्रति लीटर की बड़ी वृद्धि की और रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी को प्रति परिवार प्रति वर्ष छह सिलेंडर तक सीमित कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) की बैठक में पेट्रोल और केरोसीन के दाम फिलहाल नहीं बढ़ाए गए हैं। सरकार ने पेट्रोल पर 14.78 रुपए प्रति लीटर की दर से लगने वाले उत्पाद शुल्क में 5.50 रुपए की कमी करने का निर्णय भी लिया है जिससे पेट्रोलियम कंपनियों को कुछ राहत मिली है। पेट्रोल पर इस समय सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों को करी प्रति लीटर छह रुपए की हानि हो रही थी। पेट्रोलियम उत्पादों की नई दरें आज आधी रात से प्रभावी हो जाएंगी। कुछ प्रमुख शहरों में डीजल के दाम कुछ इस प्रकार होंगे-

दिल्ली : 41.29 रुपए प्रति लीटर की जगह अब 46.29 रुपए प्रति लीटर
मुंबई : 41.98 रुपए प्रति लीटर की जगह अब 46.98 रुपए प्रति लीटर
जयपुर : 43.22 रुपए प्रति लीटर की जगह अब 48.22 रुपए प्रति लीटर
भोपाल : 45.66 रुपए प्रति लीटर की जगह अब 50.66 रुपए प्रति लीटर
लखनऊ : 44.04 रुपए प्रति लीटर की जगह अब 49.04 रुपए प्रति लीटर
अहमदाबाद : 45.89 रुपए प्रति लीटर की जगह 50.89 रुपए प्रति लीटर

सरकार के फैसले के मुताबिक, अब हर परिवार को केवल 6 सिलेंडर सब्सिडी वाली कीमत यानी 399 रुपये पर मिल सकेगा। इसके बाद 7वां सिलेंडर खरीदने पर उपभोक्ता को बाजार भाव चुकाने होंगे। यानी, सरकार ने 7वें सिलेंडर की कीमत में भी 347 रुपए का इजाफा कर दिया है। ऐसे में अब हर परिवार को अगले साल मार्च 2013 तक केवल 3 सिलेंडर ही सस्ते दाम पर मिल सकेंगे।

इन फैसलों को राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है पर इनसे पेट्रोलियम कंपनियों को बड़ी राहत मिलने का अनुमान है। साथ ही केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी। बैठक के बाद जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार सीसीपीए ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम तथा अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में तेज गिरावट के कारण तेल का खुदरा कारोबार करने वाली सरकारी कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में होने वाली संभावित राजस्व हानि पर गौर किया और इसे ‘चिंताजनक स्थिति’ माना।

मौजूदा हालात में भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल की राजस्व हानि चालू वित्त वर्ष 1.87 लाख करोड़ से अधिक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। सीसीपीए ने कहा कि तेल विपणन कंपनियों के राजस्व हानि की भरपाई पूरी तरह न होने के कारण उन्हें नुकसान होता है। सरकार के आज के निर्णय से तेल विपणन कंपनियों को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के कारण होने वाले राजस्व हानि में करीब 20,300 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्मीद है। बावजूद इसके चालू वितत वर्ष इन कंपनियों की कमाई का नुकसान 1.67 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में आयातित उत्पाद की तुलना में घरेलू बाजार में कीमतें कम रखने के कारण इन कंपनियों को सरकारी कंपनियों को करीब 1.39 लाख करोड़ रुपये की संभावित कमाई का नुकसान हुआ था। सरकार ने कहा है कि डीजल के दामों में प्रति लीटर 5 रुपए की वृद्धि में वैट शामिल नहीं है। इस बढ़ोतरी में 1.5 रुपए की वृद्धि उत्पाद शुल्क में वृद्धि के कारण हुई है। बाकी 3.50 रुपये प्रति लीटर तेल कंपनियों के खाते में जाएगा। इससे उन्हें चालू वित्त वर्ष में की शेष अवधि में 15,000 करोड़ रुपये का फायदा होने की उम्मीद है। इस वृद्धि के बाद भी डीजल पर उनकी संभावित राजस्व हानि 1.03 लाख करोड़ रुपये रह जाएगी। सरकार ने ब्रांडेड डीजल को बाजार दर पर बेचने की अनुमति देने का फैसला किया है।

दिल्ली में सब्सिडीशुदा रसोई गैस सिलेंडर का दाम 399 रुपए बना रहेगा। पर सरकार का अनुमान है कि पूरे देश में एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी सीमित करने के आज के निर्णय से तेल कंपनियों को 5033 करोड़ रुपये का फायदा होगा। सरकारी तेल कंपनियों को नियंत्रित दर पर डीजल और रसोई गैस और अन्य ईंधन की बिक्री से रोजाना 560 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। पेट्रोल पर 16 करोड़ रुपए प्रतिदिन का नुकसान हो रहा था। सब्सिडी बोझ बढ़ने और आर्थिक नरमी के चलते सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत था जो चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

राजकोषीय घाटा बढ़ने से ब्याज दर और महंगाई पर असर पड़ता है। डीजल के महंगा होने से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है और आज के फैसले का रिजर्व बैंक की 17 तारीख को होने वाली मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा पर भी प्रभाव देखने को मिल सकता है। जुलाई में औद्योगिक वृद्धि दर में मात्र 0.1 प्रतिशत की वृद्धि से मायूस उद्योग जगत ने नीतिगत ब्याज दरों में कम-से-कम आधा प्रतिशत कमी किये जाने की मांग की है।

First Published: Thursday, September 13, 2012, 20:29

comments powered by Disqus