Last Updated: Friday, January 18, 2013, 21:50

नई दिल्ली : योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने डीजल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने की दलील को शुक्रवार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कीमतों पर मामूली प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उपभोक्ताओं के पास अन्य वस्तुएं खरीदने के लिये कम पैसा बचेगा।
अहलूवालिया ने यहां संवाददाताओं से कहा,‘जब आपके पास ‘दमित कीमत’ होती है और आप उस कीमत को बढ़ाते हैं तब जो लोग उच्च कीमत देते हैं, उनके पास अन्य चीजें खरीदने के लिये कम पैसा बचेगा। फलस्वरूप इससे बाजार में अन्य कीमतों पर दबाव नरम होगा।’
उन्होंने कहा,‘निश्चित रूप से डीजल की कीमत बढ़ेगी, लेकिन अन्य वस्तुओं की महंगाई कम होने जा रही है। ऊर्जा कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ने की बात मेरे विचार से गलत है।’
अहलूवालिया ने तेल विपणन कंपनियों को हर महीने डीजल के दाम में 45 से 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने के सरकार के फैसले पर संतुष्टि जतायी। इससे तेल विपणन कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन बेचने से जो नुकसान हो रहा था, उसमें कमी आएगी और वे 18 महीने में डीजल बाजार भाव पर बेचने लगेंगी।
उन्होंने कहा,‘मूल रूप से कंपनियों को डीजल के मामले में 9 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है और अगर हम इसे 50 पैसे प्रति महीने समायोजित करते हैं, उन्हें डीजल बाजार भाव पर बेचने में 18 महीने का समय लगेगा। इससे डीजल पर घाटा 18 महीने में समाप्त हो जाएगा।’
योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि सरकार सब्सिडी कम करने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखा रही है और मुद्रास्फीति में जो कमी आयी है, रिजर्व बैंक इस महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में इसे ध्यान में रखेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, January 18, 2013, 21:50