Last Updated: Tuesday, December 13, 2011, 17:12
नई दिल्ली : उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार अनिश्चितता के चलते रुपया अगले साल मार्च तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 55 रुपये तक गिर सकता है। उद्योग मंडल ने कहा है कि कमजोर रुपये से सकल मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंता से डॉलर के मुकाबले रुपये ने मंगलवार को 53 के स्तर को भी लांघ लिया। डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 53 रुपये तक लुढका है। एसोचैम ने कहा है कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति हाल के महीनों की तरह बनी रही तो जनवरी तक डॉलर-रुपया विनिमय दर 53.80 और मार्च 2012 तक 55.10 रुपये प्रति डॉलर तक लुढ़क जाएगी।
एसोचैम के अनुसार घरेलू मुद्रा इस साल जुलाई से डॉलर के मुकाबले तेजी से कमजोर पड़ती चली गई है। जुलाई 2011 में एक डॉलर के लिए 44.40 रुपये का भाव था जबकि अगस्त में यह 45.50 रुपये हो गया और सितंबर में 47.60 रुपये प्रति डॉलर हो गया। अक्तूबर में यह 49.30 रुपये और इस महीने 53.23 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया।
कमजोर रुपये से आयात महंगा होता है। एक डॉलर मूल्य के लिए पहले जहां 44 रुपये देने पड़ते थे अब उसके लिए आपको 53 रुपये देने होंगे। आयात महंगा होने से उद्योगों की लागत बढ़ेगी और उत्पाद महंगे होंगे। तेल कंपनियां 80 प्रतिशत पेट्रोलियम आयात करती हैं, उनका आयात बिल और बढ़ेगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 13, 2011, 22:42