तीन साल के लिए टलेगा गार, समिति ने की सिफारिश

तीन साल के लिए टलेगा गार, समिति ने की सिफारिश

तीन साल के लिए टलेगा गार, समिति ने की सिफारिशनई दिल्ली : सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियम (गार) से संबद्ध विशेषज्ञ समिति ने विवादास्पद कर प्रावधान का क्रियान्वयन तीन साल तक के लिए टालने व प्रतिभूतियों के लेनदेन पर पूंजीगत लाभ कर खत्म करने की शनिवार को सिफारिश की।

वैश्विक निवेशकों का उत्साह बहाल करने की दिशा में कदम उठाते हुए समिति ने अपनी रिपोर्ट के मसौदे में सुझाव दिया कि प्रावधानों का उपयोग मारीशस में कंपनियों के वजूद की विश्वसनीयता की जांच करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि मारीशस के साथ उदार कराधान व्यवस्था की वजह से यह देश विदेशी निवेश का सबसे पसंदीदा मार्ग है। भारत ने मारीशस के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि कर रखी है।

पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि गार को तभी लागू किया जाना चाहिए यदि कर लाभ की मौद्रिक सीमा तीन करोड़ रुपए या इससे अधिक है।

वित्त मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट के मसौदे में भागीदारों से 15 सितंबर तक टिप्पणी मांगी गई है। गार पर विदेशी और घरेलू निवेशकों की चिंता दूर करने के लिए इस समिति का गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा जुलाई में किया गया था।

इस बीच, वित्त मंत्रालय ने गार का दायरा बढ़ाकर उसमें सभी अनिवासी करदाताओं को शामिल कर लिया है। अभी तक इसके दायरे में केवल एफआईआई थे। समिति की रिपोर्ट के मसौदे में कहा गया है, गार को तीन साल के लिए टाला जाना चाहिए। इस तरह से गार आकलन वर्ष 2017.18 से लागू होगा। पूर्व.घोषणा विश्वभर में पूंजी के निर्बाध प्रवाह के आज के वैश्विक परिदृश्य में एक आम व्यवस्था है।

विदेशी निवेशकों की चिंताओं को देखते हुए सरकार ने गार का क्रियान्वयन टाल दिया था। तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव
मुखर्जी ने 2012.13 के लिए अपने बजट में इसे पेश किया था।

समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि उसे गार के प्रावधानों का उदाहरण के साथ स्पष्टीकरण देने के लिए एक सर्कुलर जारी करना चाहिए। (एजेंसी)


First Published: Saturday, September 1, 2012, 18:04

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