Last Updated: Monday, April 30, 2012, 09:40
नई दिल्ली : नॉर्वे के टेलीनॉर समूह ने आज कहा कि यदि स्पेक्ट्रम नीलामी के संबंध में दूरसंचार नियामक ट्राई की ओर से हाल में जारी सिफारिशों को सरकार लागू करती है तो वह भारत में अपना कारोबार बंद कर देश से निकलने को मजबूह हो जाएगी। दूरसंचार नियामक ने स्पेक्ट्रम की नयी नीलामियों के लिए सरकारी बोली (नूनतम मूल्य) 2008 के मुकाबले 13 गुना रखने का सुझाव दिया है।
टेलीनार के उपाध्यक्ष और भारत में कंपनी के प्रमुख सिग्वे ब्रेकी ने एक बयान में कहा ‘‘यदि ये सिफारिशें ही नीति का स्वरूप ले लेती हैं तो भारत सरकार टेलीनॉर को बाहर निकलने पर मजबूर करेगी। आगामी नीलामी प्रक्रिया में शिरकत करना हमारे लिए लगभग असंभव होगा।’’ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने पिछले सप्ताह सिफारिश की थी कि सरकार को 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में पांच मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी चाहिए और प्रति मेगाहर्त्ज स्पेक्ट्रम के लिए सरकार की ओर से न्यूनतम 3,622.18 करोड़ रुपए का मूल्य रखना चाहिए।
यह राशि 2008 में में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में पहले आओ पहले पाओ आधार पर आवंटित 2जी स्पेक्ट्रम के लिए वसूली गयी कीमत से 13 गुना अधिक है। उस वक्त 6.2 मेगाहर्ट्ज 2जी स्पेक्ट्रम सिर्फ 1,659 करोड़ रुपए में दिया गया था।
टेलीनॉर ने कहा कि उसने 2008 में भारतीय रीयल एस्टेट कंपनी यूनिटे के दूरसंचार कारोबार -यूनिटेक वायरलेस- की बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए तीन अरब डालर का निवेश किया है। इस कंपनी का नाम बाद में यूनिनॉर कर दिया गया।
टेलीनॉर की यूनिनॉर में 67 फीसद हिस्सेदारी है जिसके सभी 22 दूरसंचार लाइसेंस उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिए। उच्चतम न्यायालय ने इसके अलावा विभिन्न कंपनियों के अन्य 100 लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने फरवरी के शुरू में एक धमाकेदार निर्यण में जनवरी 2008 के जारी सभी 122 दूरसंचार लाइसेंस-स्पेक्ट्रम रद्द कर नए आवंटन के लिए चार माह का समय दिया था। न्यायल ने अब सरकार को नीलामी के लिए 31 अगस्त तक का समय दे दिया है और कहा है कि प्रभावित कंपनियों के लाइसेंस सात सितंबर तक की वैध रहेंगे। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 30, 2012, 21:50