Last Updated: Tuesday, April 24, 2012, 16:35
अगरतला : चीन द्वारा आपत्ति किए जाने के बावजूद ओएनजीसी ने एक वियतनामी कंपनी के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में तेल की खोज शुरू करने की तैयारी की है। ओएनजीसी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक सुधीर वासुदेव ने यहां कहा कि इसमें कोई गलत नहीं है। ओएनजीसी विदेश को एक अंतरराष्ट्रीय बोली के जरिए यह काम हासिल हुआ है और हम एक वियतनामी तेल कंपनी के साथ मिलकर इसपर आगे बढ़ेंगे। वासुदेव ने कहा कि अगर चीन और वियतनाम के बीच कोई क्षेत्रीय विवाद है, तो वे खुद इस समस्या को हल करें। हमारे लिए यह विशुद्ध रूप से व्यावसायिक गतिविधि है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस संबंध में कदम उठाने को उचित प्राधिकार है और हमारे लिए सबकुछ स्पष्ट है। उल्लेखनीय है कि चीन दक्षिण चीन सागर में भारतीय तेल उत्खनन सहित किसी भी तरह की गतिविधि पर आपत्ति करता रहा है। उसका कहना है कि दक्षिण चीन सागर में उसका वियतनाम और फिलीपीन्स जैसे आसियान देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद है। भारत ने दक्षिण चीन सागर में तेल उत्खनन को प्रोत्साहन देने के लिए पिछले साल अक्तूबर में वियतनाम के साथ एक समझौता किया। वासुदेव ने कल ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कारपोरेशन (ओटीपीसी) की 724 मेगावाट की गैस आधारित ताप बिजली परियोजना की प्रगति की समीक्षा के दौरान बताया कि इस परियोजना का पहला चरण जून तक चालू हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ओएनजीसी ने उत्तरी त्रिपुरा में खोबल जिले में 5,000 करोड़ रुपये की लागत से यूरिया फर्टिलाइजर कारखाना लगाने का भी निर्णय किया है और छह बड़े निवेशकों ने इस परियोजना में निवेश करने में रुचि दिखाई है। यूरिया कारखाना के लिए खोबल का चयन इसलिए भी किया गया है क्योंकि यह खोबल गैस फील्ड के नजदीक है जहां से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति की जाएगी। ओएनजीसी ने पिछले साल असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) के पास खोबल में एक विशाल गैस भंडार का पता लगाया था।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 25, 2012, 09:38