Last Updated: Friday, February 3, 2012, 16:17
मुंबई : मौजूदा परिस्थितियों में भारत में आक्रामक तौर पर दरों में कटौती के लिए कोई जगह नहीं है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने शुक्रवार को एक टीवी चैनल से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती अगला तार्किक कदम था, लेकिन अब यह अन्य आर्थिक कारकों पर निर्भर करेगा।
आरबीआई की बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात में कटौती, या केंद्रीय बैंक के साथ बनाकर रखी जाने वाली बैंकों की राशी में अपनी 24 जनवरी की नीतिगत समीक्षा में 50 आधार अंकों (5.5 फीसदी) की कटौती की, लेकिन इसके प्रमुख नीति दर को अपरिवर्तित रखा।
उधर, रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों से कहा है कि वह आवास ऋण देते समय मकान के दाम का ऊंचा आकलन नहीं करें। अक्सर यह देखा गया है कि आवास ऋण की मंजूरी देते समय बैंक मूल्य में स्टांप तथा अन्य शुल्क भी जोड़ लेते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि हमारे ध्यान में लाया गया है कि आवास ऋण की मंजूरी देते समय मकान का मूल्य तय करने के लिए बैंक अलग-अलग तरह की प्रणाली अपना रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने यहां जारी एक परिपत्र में कहा है कि कुछ बैंक मकान का दाम तय करते समय उसमें स्टांप शुल्क, पंजीकरण और दस्तावेज शुल्क आदि जोड़ देते हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इससे मकान की कीमत अनावश्यक तौर पर बढ़ जाती है, क्योंकि बेचने पर स्टांप और पंजीकरण तथा अन्य शुल्कों की प्राप्ति नहीं होगी और परिणाम यह होगा कि बिक्री करते समय मिलने वाली रकम में मार्जिन कम हो जाएगा। रिजर्व बैंक ने इससे पहले आवास क्षेत्र में बैंक कर्ज के बढ़ते प्रवाह पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2010 में बैंकों को आवास मूल्य का केवल 80 प्रतिशत ही कर्ज देने की दिशानिर्देश जारी किया था।
First Published: Friday, February 3, 2012, 21:47