Last Updated: Thursday, September 6, 2012, 18:49

नई दिल्ली : सरकार में अनिर्णय की स्थिति संबंधी आलोचनाओं के बीच दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने आज कहा कि उनके मंत्रालय ने पिछले दिनों कई फैसले किये लेकिन इनपर अमल में देरी यदि कोई हुई है तो वह निजी क्षेत्र की वजह से हुई, क्योंकि उसी पर इनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी थी।
सिब्बल ने आज यहां ‘भारत दूरसंचार 2012’ प्रदर्शनी एवं सम्मेलन की तैयारी के सिलसिले में आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘हमने एक के बाद एक फैसले किये। यदि इसमें ढिलाई हुई है तो वह फैसलों को अमल में लाने के मामले में हुई और यह निजी क्षेत्र पर निर्भर करता है। निजी क्षेत्र को इन संभावनाओं पर गौर करना चाहिए और सेवाओं को शुरू करना चाहिए।’ प्रदर्शनी एवं सम्मेलन का आयोजन 13 से 15 दिसंबर तक यहां प्रगति मैदान में होगा। दूरसंचार विभाग और उद्योग मंडल फिक्की दूरसंचार क्षेत्र की इकाइयों की मदद से इसका आयोजन कर रहे हैं।
सिब्बल ने कहा दूरसंचार कंपनियों को निहित स्वार्थ से उपर उठकर क्षेत्र में उपलब्ध व्यापक संभावनाओं को देखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमने देश में अभी दूरसंचार क्षेत्र की संभावनाओं का केवल सतही दोहन ही किया है, क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।’ उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में हम डाटा संप्रेषण की क्रांति के द्वार पर खड़े हैं। हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दूरसंचार मंत्रालय में तुरंत निर्णय लिये जा रहे हैं, कोई नीतिगत लाचारी नहीं है। बाहर कुछ भी माहौल बताया जा रहा हो दूरसंचार मंत्रालय में काम हो रहा है।’
सिब्बल ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में दूरसंचार उद्योग का 3 प्रतिशत तक योगदान है। दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का विनिर्माण, तीनों क्षेत्र में संभावनायें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा वर्ष 2000 में दूरसंचार क्षेत्र जहां 6 अरब डालर का था वहीं वर्ष 2012 में यह बढ़कर 80 अरब डालर का हो गया और वर्ष 2020 तक इसके 300 अरब डालर तक पहुंच जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की मौजूदा संभावनाओं का केवल सतही दोहन ही हुआ है, अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।
फिक्की अध्यक्ष आर.वी. कनोडिया ने कहा कि भारत दूरसंचार प्रदर्शनी और सम्मेलन देश में होने वाला दूरसंचार क्षेत्र का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। पिछले साल इस प्रदर्शनी में 43 देशों के 20,315 उद्योग प्रतिनिधियों और 37 देशों के 275 प्रदर्शकों ने भाग लिया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 6, 2012, 18:49