देश का औद्योगिक उत्पादन पटरी पर लौटा - Zee News हिंदी

देश का औद्योगिक उत्पादन पटरी पर लौटा

नई दिल्ली: आौद्योगिक क्षेत्र फिर से पटरी पर आ गया है। विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत पिछले वर्ष नवंबर में औद्योगिक वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत रही। इससे पिछले महीने औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज हुई थी।

 

गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार इससे पूर्व 2010 के इसी महीने में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत थी।

 

इस बीच, सरकार ने अक्तूबर 2011 के औद्योगिक वृद्धि के आंकड़ों में संशोधन किया है। नये आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में 4.74 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि हुई जबकि पूर्व में औद्योगिक उत्पादन 5.1 प्रतिशत घटने की बात कही गयी थी।

 

औद्येागिक उत्पादन सूचकांक में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र पिछले वर्ष नवंबर महीने में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि 2010 के इसी महीने में इसकी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत थी।

 

बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य महीने में 14.6 प्रतिशत रही जबकि 2010 के इसी महीने में यह 4.6 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में नवंबर 2011 में 13.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी जबकि इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने में यह केवल 0.7 प्रतिशत थी।

 

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर आलोच्य महीने में 11.2 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व नवंबर 2010 में 7.2 प्रतिशत थी। 

 

आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2011 में गैर-टिकाउ उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में वृद्धि दर 14.8 प्रतिशत रही जबकि इससे पूर्व नवंबर 2010 में यह 4.4 प्रतिशत थी।

 

हालांकि आलोच्य महीने में खनन उत्पादन के मामले में 4.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी जबकि वर्ष 2010 के इसी महीने में इस क्षेत्र में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन भी आलोच्य महीने में 4.6 प्रतिशत घटा जबकि वर्ष 2010 के नवंबर महीने में इसमें 25.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।

 

बहरहाल, बुनियादी वस्तुओं का उत्पादन नवंबर 2011 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा जो 2010 के इसी महीने में 5.7 प्रतिशत था। कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाले मध्यवर्ती वस्तुओं का उत्पादन आलोच्य महीने में मामूली रूप से 0.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि इससे पिछले वर्ष 2010 के नवंबर महीने में इसमें 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।

 

औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में सुधार से अर्थव्यवस्था को लेकर धारणा मजबूत होगी और साथ ही रिजर्व बैंक निकट भविष्य में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लिये कदम उठा सकता है।

 

देश की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.9 प्रतिशत रही जो पिछली नौ तिमाही में सबसे कम है। उद्योग जगत ने आर्थिक वृद्धि में नरमी के लिये ब्याज दरों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है। ब्याज दरों में वृद्धि से इससे कर्ज की लागत बढ़ गयी। मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिये रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में 13 बार वृद्धि कर चुका है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, January 12, 2012, 17:00

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