Last Updated: Sunday, July 29, 2012, 20:25
नई दिल्ली : स्विस बैंकों में पड़े काले धन को तो देश में वापस लाकर विकास कार्यों में लगाने की मांग रोज उठती रहती है लेकिन देश के वित्तीय बैंकों में भी 24 अरब 81 करोड़ 39 लाख 70 हजार 461 रुपए लावारिस पड़े हैं और उनका कोई लेनदार नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक से मांगी गई सूचना से यह जानकारी मिली है। इसके अनुसार 31 दिसंबर 2011 तक देश के वित्तीय बैंकों में एक करोड़ 12 लाख 49 हजार 844 लावारिस खाते हैं और उनमें 24,81,39,70,461.47 रुपयों का कोई लेनदार नहीं है। आरबीआई से मिली जानकारी के अनुसार ये ऐसे खाते हैं जिनकी पिछले 10 साल से कोई सुध नहीं ली गई है और इस अवधि में इन खातों से कोई लेनदेन भी नहीं किया गया है।
इस आवेदन के तहत यह भी पता चला है कि दो साल से अधिक वक्त तक जिन खातों से कोई लेन-देन नहीं किया जाता उन्हें निष्क्रिय मान लिया जाता है। अगर दो साल से अधिक वक्त से निष्क्रिय पड़े खातों का कोई दावेदार सामने आता है तो बैंक उसे अगले एक साल के दौरान खातों से लेन-देन करने की मोहलत देते हैं। लेकिन अगले एक साल के दौरान भी खाते से कोई लेन-देन नहीं होने पर इसे निष्क्रिय घोषित किया जा सकता है।
आवेदन के जरिए यह भी पूछा गया कि क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसके जरिए इन खातों में पड़े धन को सरकारी कोषों में भेजा जा सकता है। आरबीआई ने बताया कि फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया कि बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2011 को लोकसभा में पेश किया जा चुका है और इस संबंध में एक नई धारा 26ए अभी प्रस्तावित है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 29, 2012, 20:25