देश में सुधारों की तीव्र इच्‍छा: प्रणब - Zee News हिंदी

देश में सुधारों की तीव्र इच्‍छा: प्रणब

 

वाशिंगटन : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भारत में केंद्रीय सत्ता के कमजोर होने की अमेरिकी कंपनियों की अवधारणा को एक बार फिर खारिज करते हुए कहा है कि भारत की बागडोर एक बहुत मजबूत व स्वीकार्य प्रधानमंत्री के हाथ में है। साथ ही उन्होंने दोहराया है कि देश में सुधारों को लेकर बहुत तीव्र इच्छा है। मुखर्जी ने अपनी वाशिंगटन यात्रा के अंत में कल रात यहां कहा कि मैं किसी संगठन या संस्थान की धारणा पर कैसे टिप्पणी कर सकता हूं? मैं केवल यह कह सकता हूं कि केंद्र सरकार के नेतृत्व किसी प्रकार का सूनापन नहीं है। वहां एक बहुत ताकतवर व स्वीकार्य प्रधानमंत्री बैठा है।

 

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में भारत में केंद्र के कमजोर होने को लेकर एक शब्द पावर वेक्यूम यानी राजनीतिक सत्ता का अभाव इन दिनों खासा चर्चा में है। अमेरिका की कंपनियों ने इस तरह का दावा करते हुए देश के राष्ट्रपति कार्यालय को ज्ञापन भेजा है जिसमें कहा गया है कि कथित केंद्र में राजनीतिक सत्ता के अभाव के कारण निर्णय लेने में देरी हो रही है। आईएमएफ तथा विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए यहां आए वित्तमंत्री मुखर्जी ने कहा कि भारतीय मतदाताओं में सुधारों की तीव्र भूख है। उन्होंने कहा कि इस भूख को आकलन विधान सभा चुनाव के आधार पर नहीं बल्कि आम चुनाव के आधार पर ही किया जा सकता है।

 

मुखर्जी ने इस आकलन से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मतदाताओं की इस इच्छा (सुधारों के लिए भूख) को कैसे मापा जा सकता है? जहां अब तक के चुनावी प्रदर्शन का सवाल है तो यह मिला जुला रहा है और राज्य विधानसभा चुनावों में सुधार कभी मुख्य एजेंडा नहीं रहे। तो आप इसे कैसे मापते हैं? इसे तो राष्ट्रीय चुनावों में ही मापा जा सकता है। मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय चुनावों में इसका पूरी तरह प्रदर्शन हो चुका है। कांग्रेस ने 2004 में 147 लोकसभा सीटें जीतीं। 2009 में यह संख्या बढ़कर 207 हो गई और आर्थिक पहल करने वाले अग्रणी दलों में कांग्रेस एक है।

(एजेंसी)

First Published: Monday, April 23, 2012, 21:28

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