Last Updated: Thursday, November 1, 2012, 22:12

नई दिल्ली : बाजार अनुसंधान एवं कंसल्टेंसी क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित फर्म की एक ताजा रपट में अनुमान है कि धोखाधड़ी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को बीते वित्त वर्ष में 6,600 करोड़ पये का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार इसके चलते सबसे बड़ी मार बैंकों पर पड़ती है। बैंक ही धोखाधड़ी के सबसे आसान शिकार बनते हैं। अनुसंधान फर्म अर्नेस्ट एंड यंग इंडिया की इस रिपोर्ट फ्राड इंडीकेटर्स इन इंडिया में यह निष्कर्ष निकाला है। संस्था के अरपिंदर सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के इस संस्करण में हमने पाया कि सूचित धोखाधड़ी मामलों में 61 प्रतिशत भेदिया यानी अंदरूनी जानकारों से जुड़े हैं। सिंह संस्था की धोखाधड़ी जांच तथा विवाद सेवा के राष्ट्रीय निदेशक हैं।
इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2012 की दूसरी छमाही में धोखाधड़ी के मामले पहली छमाही की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक रहे। रिपोर्ट में समाज के सभी तबकों में होने वाली धोखाधड़ी पर निगाह डाली गई है जिनमें कारोबार, सरकार, वित्तीय संस्थान तथा व्यक्ति विशेष शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबार :कंपनियां: पर धोखाधड़ी का जोखिम बना हुआ है और इस मद का नुकसान 6,600 करोड़ रुपये आंका गया है। फर्म का अनुसंधान आलोच्य वित्त वर्ष के 1,80,000 समाचारों पर आधारित है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 1, 2012, 21:07