Last Updated: Tuesday, June 5, 2012, 20:43
नई दिल्ली: सरकार ने चालू वित्त वर्ष में भारत के निर्यात को 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 360 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य घोषित किया। कठिन आर्थिक परिस्थितियों में इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों के निर्यातकों को दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने और निर्यात कार्य के लिए पूंजीगत सामानों के आयात पर शून्य शुल्क की योजना को चालू वित्त वर्ष में जारी रखने और इन योजनाओं के दायरे में कुछ नये क्षेत्रों को भी शामिल करने की घोषणा की।
वाणिज्य एवं उद्योग तथा कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने विदेश व्यापार नीति 2009-14 के तहत वाषिर्क अनुपूरक नीतिगत उपायों की घोषणा करते हुए निर्यातकों को आयात शुल्क में मिलने वाली रियायतों का इस्तेमाल पहली बार उत्पाद शुल्क के एवज में करने की छूट देने की घोषणा की।
शर्मा ने कहा, ‘यह कदम घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए है।’ भारत ने वर्ष 2011-12 में कुल 20.9 प्रतिशत की वृद्धि दर से 303.7 अरब डालर का निर्यात किया था। शर्मा ने 2013-14 तक वाषिर्क निर्यात को 500 अरब डालर तक पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल कर लिए जाने का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, ‘2009 के बाद से तमाम चुनौतियों के बावजूद हम अपनी मंजिल की राह पर बने हुए हैं।’ उन्होंने चालू वित्त वर्ष के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए आज उपायों को सरकार की सात सूत्रीय रणनीति का हिस्सा बताया।
उन्होंने कहा कि इस रणनीति में निर्यात के जरिये श्रम गहन उद्योगों को बढ़ावा देने, घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने, उन्नत प्रौद्योगिकी के उत्पादों का निर्यात बढ़ाने, वैश्विक संकट के जोखिमों को कम करने के लिए नये बाजारों में स्थान बनाने, पूर्वोत्तर क्षेत्र से निर्यात को प्रोत्साहित करने, पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन और आयात निर्यात की लागत कम करने के नीतिगत उपायों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वाणिज्य मंत्री ने कर नीतियों में बदलाव के कारण कुछ परेशानी झेल रही विशेष आर्थिक क्षेत्र योजना और शत प्रतिशत निर्यातोन्मुखी इकाइयों के लिए अगले कुछ महीनों में नयी पहल की घोषणा का वादा किया।
निर्यातक अब विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत निर्यात शुल्क में छूट की पर्ची का इस्तेमाल घरेलू बाजार से खरीदे गए उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के भुगतान के लिए कर सकेंगे। फिक्की के अध्यक्ष आर वी कनोरिया ने इस योजना को एक नयी सोच बताते हुए इसके लिए वाणिज्य मंत्री की तारीफ की और कहा कि इससे घरेलू विनिर्माताओं को फायदा होगा।
उद्योग मंडलों और निर्यात संवधर्न परिषदों के प्रतिनिधियों की बैठक में वाषिर्क अनुपूरक नीति की घोषणा करते हुए शर्मा ने जब दो प्रतिशत की ब्याज सहायता और निर्यात संवंधन के लिए पूंजीगत वस्तुओं के शून्य प्रतिशत शुल्क पर आयात की छूट वाली ईपीसीजी योजना के विस्तार की घोषणा की तो उनका तालियां बजाकर स्वागत किया गया।
दो प्रतिशत ब्याज सहायता योजना हथकरघा, हस्तशिल्प, कालीन और लघु एवं मझोले उद्यमों क्षेत्र के लिए उत्पादों के निर्यात पर लागू है ओैर इसकी मियाद 31 मार्च 2012 को खत्म हो गयी थी। शर्मा ने घोषणा की, ‘अब यह योजना 31 मार्च, 2013 तक जारी रही रहेगी। इस योजना का विस्तार भी किया जा रहा है और इसका लाभ अब खिलौना, खेल के सामान, प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद और सिलेसिलाए वस्त्र जैसे श्रम गहन क्षेत्रों को भी मिलेगा। ’
शून्य शुल्क वाली ईपीसीजी योजना भी इस वर्ष मार्च में खत्म हो गयी थी। अब इसे अगले साल 31 मार्च तक जारी रखा जाएगा और इस योजना का दायरा भी बढ़ा दिया गया है। प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना के तहत सहायता प्राप्त करने वाली इकाइयां भी किसी दूसरे प्रकार के कारोबार के लिए इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। कपड़ा क्षेत्र के निर्यातकों ने इस योजना का स्वागत किया है। वाणिज्य मंत्री ने निर्यातोत्तर ईपीसीजी योजना भी शुरू करने की घोषणा की जिसके तहत कोई निर्यातक पहले शुल्क देकर कोई मशीन आयात कर सकता है और निर्यात दायित्व पूरा करने के बाद आयात शुल्क छूट की पर्ची हासिल कर सकता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 5, 2012, 20:43