Last Updated: Friday, December 23, 2011, 10:28
नई दिल्ली: कर्मचारियों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों के बीच मतभेदों के कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) 2011-12 के लिए अपने 4.7 करोड़ अंशधारकों को अदा किए जाने वाली ब्याज दर के बारे में फैसला नहीं ले सका और उसने वित्त मंत्रालय से इस पर अंतिम फैसला करने को कहा है।
श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे ने ईपीएफओ की नीति निर्माण संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक के बाद कहा कि ईपीएफओ चालू वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दरों के भुगतान के संबंध में अलग-अलग सुझाव देगा, ताकि वित्त मंत्रालय इस बारे में अंतिम फैसला कर सके।
ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष के लिए 8.25 फीसद की ब्याज दर का सुझाव दिया था जबकि कर्मचारी संघ के सदस्य चाहते थे कि यह 9.5 फीसद हो। वहीं नियोक्ता चाहते थे कि ब्याज दर 8.5 प्रतिशत रहे। ईपीएफओ ने 2010-11 के दौरान अपने सदस्यों को 9.5 फीसद ब्याज दिया था।
सूत्रों के मुताबिक यह पहला मौका था जबकि सीबीटी ब्याज दर पर फैसला करने में असफल रहा और उसने वित्त मंत्रालय से इस मामले पर निर्णय करने के लिए कहा।
सूत्रों के मुताबिक कर्मचारी संघ के सदस्यों ने 9.5 फीसदी की ब्याज दर का समर्थन करते हुए का कि ईपीएफओ सार्वजनिक भविष्य निधि कोष योजना के तहत सरकार द्वारा प्रस्तावित 8.6 फीसद से कम ब्याज दर का भुगतान नहीं कर सकता। ईपीएफओ की वित्तीय सलाहकार समिति (एफआईसी) ने 2011-12 में 8.25 फीसद की ब्याज दर का भुगतान करने का सुझाव दिया था।
ईपीएफओ द्वारा तैयार अनुमान के मुताबिक 2011-12 के दौरान 8.25 फीसद के ब्याज के भुगतान से इसकी आय में सिर्फ 24 लाख रुपये की कमी होगी।
कर्मचारी संघ ने कहा कि उपभोक्ताओं को 8.5 फीसद की ब्याज दर का भुगतान करने से 526.44 करोड़ रुपये का घाटा होगा।
कर्मचारी संघ के नेताओं को मानना है कि यदि अनुमान की गलती को शामिल किया जाए तो ईपीएफओ 400 करोड़ रुपये अलग कर सकता है, जो 8.25 के मुकाबले 0.25 फीसद अतिरिक्त ब्याज दर का भगुतान करने के लिए काफी होगा।
उन्होंने एक अप्रैल, 2011 से निष्क्रिय खातों पर ब्याज दरों से होने वाली आय का भुगतान सक्रिय उपभोक्ताओं को भी किए जाने को भी एक संभावना बताया।
जिन खातों में 36 महीने या इससे अधिक समय से कोई योगदान नहीं मिला है उन्हें निष्क्रिय खाता कहा जाता है। ऐसे खातों में करीब 15,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और इनसे मुनाफा हो रहा है।
ईपीएफओ ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि इन निष्क्रिय खातों से होने वाली आय सक्रिय खातों में बांटी जा सकती है या फिर इसे आरक्षित राशि के तौर पर रखा जाए।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 23, 2011, 16:57