Last Updated: Thursday, November 10, 2011, 15:36

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा है कि किसी फर्म के निदेशक को उसमें होने वाली हर तरह की गड़बड़ी के लिए तब तक जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता कि वह अनियमितता में लिप्त था।
न्यायमूति पी. सथशिवम और जस्ती चेलामेश्वर की पीठ ने गुरुवार को कहा कि यह न्यायालय कई बार स्पष्ट कर चुका है कि कंपनी निदेशक के मामले में शिकायत करते हुए स्पष्ट तौर पर इसका उल्लेख होना चाहिए कि दोषी कंपनी के मामले में वह निदेशक कैसे और किस तरह से प्रभारी रहा है अथवा उसके लिए जिम्मेदार रहा है। ऐसे मामलों में किसी निदेशक को कंपनी कारोबार के लिये जवाबदेह ठहराने के लिए वक्तव्य भर देना काफी नहीं होगा।
पीठ ने चेक बाउंस मामले में परिधान निर्यात संवर्धन परिषद के एक पूर्व निदेशक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई निरस्त करते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि निदेशक मंडल का सदस्य नहीं रहने के बाद चेक बाउंस मामले में पूर्व निदेशक को दंडित नहीं किया जा सकता। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर दिया। उस आदेश में अदालत ने निदेशक की अपने खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया को निरस्त करने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, November 10, 2011, 21:07