Last Updated: Sunday, April 22, 2012, 16:22
वाशिंगटन : केंद्र में सत्तारूढ़ संप्रग सरकार में नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता पंगु होने संबंधी धारणाओं को खारिज करते हुए वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि गठबंधन राजनीति की मजबूरियों के चलते सरकार कुछ मुख्य मुद्दों पर आम सहमति के साथ ही चलने को मजबूर है।
साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि आर्थिक सुधारों से जुड़े सभी प्रमुख विधेयक पारित करवा लिए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता पंगु होने के संदर्भ में एक शब्द पालिसी परैलिसिस इन दिनों मीडिया आदि में खूब चर्चा में है।
वित्त मंत्री ने कहा, सरकार की नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता को लकवा मारने का कोई सवाल ही नहीं उठता। मैं उनसे सहमत नहीं हूं। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी कंपनियों ने भी भारत में ऐसी स्थिति को लेकर चिंता जताई थी। इसके अलावा सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने भी कहा था कि 2014 के आम चुनावों तक देश में आर्थिक नीतियो में बड़े सुधार होने की संभावना नहीं है। निर्णय के मोर्चे पर इस तरह की कमी के बारे में ऐसी आलोचनाओं का जवाब देते हुए मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने हाल ही के महीनों में कई नीतिगत निर्णय किए हैं।
मुखर्जी ने कहा, हमने एक नयी विनिर्माण नीति बनाई है। इससे पहले हमने घोषणा की कि हम ढांचागत ऋण कोष का गठन करेंगे। हमने ढांचागत ऋण कोष का गठन किया। वित्त मंत्री यहां आईएमएफ और विश्व बैंक की वाषिर्क बैठक में हिस्सा लेने आए हैं।
उन्होंने कहा, हमने घोषणा की कि हम विदेशी वाणिज्यिक ऋण तक कंपनियों की पहुंच आसान करेंगे। इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इसलिए मैं नीतिगत निर्णय के मामले में लकवा की बात से सहमत नहीं हूं। सरकार के समक्ष ऐसी कोई बेबसी नहीं है। गठबंधन राजनीति के बारे में उन्होंने कहा कि अब यही वास्तविकता हो गयी है।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि 2014 में भारत के आम चुनावों में किसी एक दल के पक्ष में आर पार का फैसला आएगा। और गठबंधन राजनीति में हमें गठबंधन सहयोगियों को साथ रखना होगा। भले ही इसमें समय लगता हो लेकिन और कोई चारा नहीं है।
उन्होंने कहा, लोगों को साथ रखना होगा और साथ रखने के लिए हमें उन्हें मनाना होगा, हमें उनसे बातचीत विचार विमर्श करना होगा। इसी के जरिए हम सहमति बना सकते हैं। प्रमुख आर्थिक सुधार विधेयकों के सवाल पर मुखर्जी ने कहा कहा कि तीन विधेयकों (पेंशन कोष नियामकीय कानून, बीमा कानून तथा बैंकिंग संशोधन कानून) को पारित कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को सम्बद्ध संसदीय समितियों को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की निगाह अर्थव्यवस्था को फिर से उंची वृद्धि दर की पटरी पर लाने तथा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने पर है। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 23, 2012, 00:36