Last Updated: Friday, April 12, 2013, 09:17

बर्लिन : जर्मनी और अन्य देशों से भारत में निवेश बढ़ाने की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सरकार का आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने का संकल्प ‘दृढ़’ है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि नीतिगत मुद्दों पर देश के भीतर गहन चर्चा से सरकार को कड़े निर्णय लेने में बाधा नहीं आई है। मनमोहन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट के कारण भारत पर पड़ने वाले प्रभावों और भारत के आर्थिक विकास में मंदी आने की ओर भी इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में हमारी सरकार ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। भारत जैसे विशाल, विविधताओं एवं जटिलताओं वाले देश में नीतियों के बारे में विकल्प पर गहन चर्चा अवश्यंभावी है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ लेकिन इन चर्चाओं से देश और हमारे लोगों के दीर्घकालीन हित में कड़े निर्णय लेने के मार्ग में बाधा नहीं आई है।’’ ‘डेज़ ऑफ इंडिया इन जर्मनी’ समारोह के समापन के अवसर पर मनमोहन ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘ वास्तव में बेहतरी के लिए हम ऐसी चर्चाओं का स्वागत करते हैं जो हमारी नीतियों को उत्कृष्ट तथाा और टिकाउ बनाते हैं।’’
मनमोहन ने कहा कि सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 8 प्रतिशत वाषिर्क विकास दर का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ विकास की यह दर भारत ने पिछले एक दशक से अधिक समय के दौरान दर्ज की है और मैं समझता हूं कि यही आने वाले समय में संभावित विकास दर है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को विश्वास है कि देश विकास के उस मार्ग पर वापस लौट सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी आर्थिक बुनियाद मजबूत है। भारत में उद्यमिता और नवोन्मेष की भावना फलफूल रही है। निवेश के काफी मौके हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी सरकार की निवेश को प्रोत्साहित करने, विदेशी निवेश आमंत्रित करने और आर्थिक विकास दर को आगे बढ़ाने की प्रतिबढ़ता दृढ है।’’ मनमोहन ने कहा कि सरकार ने देश और विदेश दोनों में भारत को निवेश की दृष्टि से आकषर्क स्थल बनाने की पहल की है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हाल के महीने में हमने राजकोषीय स्थिति बेहतर बनाने और वृहद आर्थिक स्थिरता कायम करने के लिए कड़े कदम उठाये हैं। हमने महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं को लागू करने की दिशा में तेजी से कदम उठाये हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ दुनिया को हमारा संदेश साफ है। विदेशी निवेश के लिए भारत का द्वार खुला है और हम इसका स्वागत करते हैं । हमने अगले पांच वषरे के दौरान आधारभूत संरचना के क्षेत्र में करीब एक खरब डालर के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है।’’
मनमोहन ने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि जर्मन कंपनियां और पूरे यूरोप की कंपनियां इन अवसरों को बेहतर उपयोग करेंगी और हमारे विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी। ’’ उन्होंने कहा कि भारत की चिंता केवल विकास दर नहीं है बल्कि विकास की गुणवत्ता भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम समावेशी और सतत विकास चाहते हैं। यह केवल सामाजिक और राजनीतिक जरूरत नहीं है बल्कि लम्बे समय तक विकास को बनाये रखने के लिए ठोस आर्थिक आधार भी है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ इसलिए हमने आजीविका, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कौशल विकास और स्वच्छ एवं अक्षय उर्जा को विशेष तवज्जो दी है।’’ मनमोहन ने इस बात पर जोर दिया कि आज की दुनिया एक दूसरे पर आधारित समृद्धि और समस्याओं को साझा करने वाली है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह दुनिया नीचे की ओर जाती या उभरती हुई शक्तिओं की नहीं है बल्कि अवसरों को व्यापक बनाने और विस्तृत उम्मीदों पर आधारित है। यह ऐसा समय है जहां तेजी से बदलाव देखने को मिलते हैं लेकिन परिवर्तन भी तेजी से देखने को मिल सकते हैं। यह ऐसा समय है जो एक दूसरे से जुड़ने और एक दूसरे को अंगीकार करने की बात कहता है।’’ वैश्विक आर्थिक संकट का जिक्र करते हुए मनमोहन ने कहा कि यह कठिन समय है, न केवल यूरोप के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी।
मनमोहन ने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय पहल और सामूहिक प्रयासों से यूरोप अपनी वर्तमान आर्थिक चुनौतियों से उबर जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को सफल, खुले और समृद्ध यूरोप की जरूरत है। यूरोप की आर्थिक स्थिति में सुधार और दुनिया के मामलों में उसकी भूमिका के संबंध में भारत का भी हित है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के मजबूत और सतत विकास की पहल में जर्मनी सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ यह केवल इसलिए नहीं है क्योंकि जर्मनी विज्ञान, प्रौद्योगिकी उत्पादन और संगठन के क्षेत्र में उत्कृष्ट है। यह इसलिए भी है क्योंकि हम सहज, सरल और विश्वास से भरे संबंधों को साझा करते हैं जो सदियों से चले आ रहे बौद्धिक, सांस्कृतिक और दर्शन के क्षेत्र में आदान प्रदान पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय विकास के लक्ष्य से जुड़े लक्ष्यों जैसे आधारभूत संरचना, विनिर्माण, स्वच्छ उर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा और कौशल विकास के बारे में मैं फलदायी गठजोड़ के अवसर देखता हूं।’’ जर्मनी की प्रशंसा करते हुए मनमोहन ने कहा कि विभाजन के बाद बर्लिन का एक शहर से एकजुटता के केंद्र के रूप में परिवर्तन जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय भूमिका और दायित्व और महान यूरोपीय परियोजना में उसके योगदान का प्रतीक है। यूरोप का भविष्य एकता से परिभाषित होता है, विभाजन से नहीं। (एजेंसी)
First Published: Friday, April 12, 2013, 09:17