Last Updated: Monday, August 6, 2012, 17:12
नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था के समक्ष कई चुनौतियां हैं। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि ‘ठोस नीति’, ‘बेहतर शासन’ और ‘प्रभावी क्रियान्वयन’ से इन चुनौतियों से पार पा लिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा है कि म्यूचुवल फंड और बीमा पालिसियों में निवेश को आकषर्क बनाने के लिए जल्दी ही कुछ ‘नए फैसले’ किए जाएंगे।
वित्त मंत्रालय के पुराने अनुभवी चिंदबम ने चार साल के अंतराल के बाद एक बार फिर इसका कार्यभार संभालने के बाद चंद दिनों में ही अधिकारियों के साथ शनिवार, रविवार में भी चली बैठकों में अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के बाद मीडिया के समक्ष एक वक्तव्य जारी किया।
उन्होंने कहा कि कीमत स्थिरता और सरकारी खजाने की स्थिति को ठीक करना उनकी सरकार की उच्च प्राथमिकता है।
गौरतलतब है कि जून में मुद्रास्फीति 7.25 प्रतिशत थी और वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत रहा जबकि सरकार ने इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.6 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा था।
चिदम्बरम ने कहा कि वह सभी संबद्ध पक्षों का विश्वास फिर हासिल करने के लिए हर संभव उपाय करेंगे। इसके लिये नीतियों में सुधार और प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया।
चिदंबरम ने कहा कि ऊंची ब्याज दरों के मामले में वह उचित कदम उठाएंगे। विदेशी निवेश आकर्षित करने की दिशा में कर कानूनों में स्पष्टता और स्थिर कर प्रशासन पर उनका जोर रहेगा।
उन्होंने कहा कि पिछली तिथि से प्रभावी कर प्रावधान की समीक्षा का भी निर्देश दिया गया है, ताकि लंबित कर मामलों में और कर विभाग तथा करदाताओं के बीच संभावित विवाद की किसी भी स्थिति से बचा जा सके।
महंगाई के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि दाम स्थिर रखने पर उनका जोर होगा। गरीबों के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है। खाद्य मुद्रास्फीति उंची बनी हुई है। इसके लिए आपूर्ति में आने वाली अड़चनों को दूर किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 6, 2012, 17:12