Last Updated: Thursday, April 5, 2012, 16:20
नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ने अपनी वाषिर्क मौद्रिक नीति से पहले गुरुवार को कहा कि निवेश प्रोत्साहन के लिये नीतिगत दरों में कटौती मुद्रास्फीति में नरमी और राजकोषीय स्थिति की मजबूती पर निर्भर करेगी।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने यहां एक सम्मेलन में कहा, हमें मुद्रास्फीति में नरमी लाने, निवेश अनुपात बढ़ाने, राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की जरूरत है जिससे निवेश को प्रोत्साहन के लिए मौद्रिक नीति में गुंजाइश बनेगी। रिजर्व बैंक 2012-13 के लिए 17 अप्रैल को वाषिर्क मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है और उद्योग जगत को उम्मीद है कि केन्द्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने और निवेश प्रोत्साहन के लिए नीतिगत दर में कटौती कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक जिसों की कीमतों में तेजी के मद्देनजर 2010 की शुरुआत से ही सख्त मौद्रिक नीति अपना रहा है। मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई मार्च, 2010 और अक्तूबर, 2011 के बीच नीतिगत दरों में तेरह बार बढ़ोतरी कर चुका है।
फरवरी 2012 में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई जबकि इससे पहले यह जनवरी में 6.55 प्रतिशत पर थी। अक्तूबर 2011 से रेपो दर 8.5 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है। रेपो दर ही मुख्य सांकेतिक दर है। रिवर्स रेपो तथा अन्य दरें स्वत ही इसके साथ समन्वय बिठा लेती हैं।
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने ही बैंकों की नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) दर को 5.5 प्रतिशत से घटाकर 4.75 प्रतिशत कर दिया था। इससे बैंकों के पास करीब 48,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि कर्ज देने के लिये उपलब्ध हो गई। इससे पहले 24 जनवरी को भी केन्द्रीय बैंक ने सीआरआर दर में आधा प्रतिशत कटौती की थी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 5, 2012, 21:50