Last Updated: Friday, May 17, 2013, 23:02

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कर्मचारी पेंशन स्कीम के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाकर एक हजार रूपए करने का फैसला जल्द लिए जाने का संकेत दिया है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना सभी कामगारों को एक समान सामाजिक सुरक्षा दिए जाने और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारित किए जाने सहित अनेक मुद्दो पर निर्णय प्रक्रिया में काफी प्रगति हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इन मुद्दो में कर्मचारी पेंशनल स्कीम के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन राशि एक हजार रूपए किए जाने का मुद्दा भी शामिल है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार संगठित एवं असंगठित सभी क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक ‘सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना’ पर विचार कर रही है और इस पर काफी हद तक विचार-विमर्श हो चुका है।
सिंह ने यह भी कहा कि फरवरी में दो दिन की आम हड़ताल के दौरान श्रमिक संगठनों की ओर से उठाए गए कई मुद्दों पर किसी को ‘काई असमति नहीं हो सकती।’
उन्होंने कहा, ‘हाल की आम हड़ताल के दौरान श्रमिक संगठनों की ओर से कई ऐसे मुद्दे उठाये गये जो न केवल कामकाजी वर्ग से जुड़े हैं बल्कि आम लोगों को भी प्रभावित करते हैं। ये ऐसी मांगे हैं जिनपर कोई असहमति नहीं हो सकती है।’ सिंह ने मंहगाई पर काबू पाने और रोज़गार के अवसर सृजित करने जैसी मांगों को इसी प्रकार की मांग की श्रेणी में रखते हुए कहा कि इन्हें सरकार गंभीरता से लेती है। ये मुद्दे ‘निरापवाद’ हैं। इसमें श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन भी शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘इन मांगो को लागू करने के तरीकों को लेकर मतभेद हो सकते हैं लेकिन मसलों को लेकर कोई असहमति नहीं है। इस मामले को लेकर हम श्रमिक संगठनों से रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार हैं।’ कर्मचारियों के हितों से जुड़े कई मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों ने इस साल फरवरी में दो दिन की हड़ताल की थी। उसमें उठाए गए मुद्दों पर गौर करने तथा उसके समाधान के लिये वित्त मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है। मंत्री समूह की 22 मई को बैठक होने वाली है। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि हम शीघ्र ही उन मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति होगी।
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में आधुनिकीकरण की पहल से पिछले साल के मुकाबले दावों के निपटान में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न श्रम कानूनों में संशोधन विचार के विभिन्न स्तरों पर हैं। दूसरे जगह से आने वाले कर्मचारियों की खराब स्थिति तथा उनकी समस्याओं को दूर करने की जरूरत का जिक्र करते हुए उन्होंने सम्मेलन में उन कर्मचारियों के साथ-साथ घरेलू नौकर तथा असुरक्षित स्थिति में काम करने वालों के कल्याण पर ध्यान देने का आह्वान किया। (एजेंसी)
First Published: Friday, May 17, 2013, 18:50