Last Updated: Thursday, April 18, 2013, 15:00
नई दिल्ली : के. कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाले एक उच्च स्तरीय कार्यसमूह ने पश्चिमी घाट पर करीब 60,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकास गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील यह क्षेत्र गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, केरल और तमिलनाडु में फैला है। 10 सदस्यीय इस कार्यसमूह का गठन पर्यावरणविद माधव गाडगिल की अगुवाई वाली पारिस्थितिक विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट की समीक्षा के लिए किया गया था। कार्यसमूह ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट से भी अलग हटकर सुझाव दिए हैं।
गाडगिल समिति ने उन क्षेत्रवार गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश बनाने का सुझाव दिया था जिनकी इन संवेदनशील क्षेत्रों में अनुमति है। समिति ने अपनी रिपोर्ट कल पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पश्चिमी घाटों की सीमा के रूप में परिभाषित क्षेत्र में से करीब 37 फीसदी क्षेत्र पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील है।’ इसमें से 60,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में फैला है।
कार्यसमूह ने पर्यावरण पर सबसे ज्यादा असर डालने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की है।’ कार्य समूह का गठन माधव गाडगिल की अगुवाई वाली समिति पश्चिमी घाट पारिस्थितिक विशेषज्ञ समिति (डब्ल्यूजीईईपी) द्वारा पूर्व में तैयार रिपोर्ट पर अपनी सिफारिशें देने के लिए किया गया था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 18, 2013, 15:00