Last Updated: Friday, August 30, 2013, 21:15

नई दिल्ली: खनन और विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण देश की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही में घटकर 4.4 फीसदी दर्ज की गई, जो पिछले चार सालों में सबसे कम है। ताजा दर वैश्विक वित्तीय संकट के दिनों की 2009 की जनवरी-मार्च तिमाही के बाद सबसे कम है।
शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में 1.2 फीसदी गिरावट रही और खनन क्षेत्र में 2.8 फीसदी गिरावट रही। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक कृषि क्षेत्र की विकास दर घटकर 2.7 फीसदी रही, सेवा क्षेत्र में बेहतरीन 9.4 फीसदी विकास दर्ज किया गया।
सीएसओ के मुताबिक स्थिर (2004-05) मूल्य पर फैक्टर कॉस्ट पर तिमाही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2013-14 की पहली तिमाही के लिए अनुमानित 13.71 लाख करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 13.14 लाख करोड़ रुपये थी, जो साल-दर-साल आधार पर 4.4 फीसदी वृद्धि है।
विकास दर इससे पिछली तिमाही में 4.8 फीसदी तथा पिछले साल की समान तिमाही में 5.4 फीसदी थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि ताजा दर अनुमान के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में भी इसी तरह की दर रह सकती है। तीसरी और चौथी तिमाही में बेहतर दर आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र तीसरी तिमाही से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इसे पहले दिन में राज्यसभा में कहा था कि मौजूदा कारोबारी साल की विकास दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा कि कई चुनौतियां सामने खड़ी हैं और अर्थव्यवस्था कठिनाई से गुजर रही है। रुपये की गिरावट चिंताजनक है। औद्योगिक गिरावट जारी है और निवेश का माहौल भी खराब है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि जीडीपी आंकड़े से स्पष्ट पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पर नीति निर्माताओं द्वारा पूरा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 30, 2013, 18:32