पारेख समिति ने बिजली बिल, रेल किराया बढ़ाने का दिया सुझाव

पारेख समिति ने बिजली बिल, रेल किराया बढ़ाने का दिया सुझाव

पारेख समिति ने बिजली बिल, रेल किराया बढ़ाने का दिया सुझावनई दिल्ली : बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए बड़े सुधार की सिफारिश करते हुए सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने बिजली शुल्क और रेल किराया बढ़ाने का सुझाव दिया है। एचडीएफसी अध्यक्ष दीपक पारेख की अध्यक्षता वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र ऋण मुहैया कराने से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति ने आज प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दूरसंचार क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का भी समर्थन किया। फिलहाल इस क्षेत्र में एफडीआई पर 74 फीसद की सीमा है। समिति ने प्राकृतिक गैस की कीमत भी बढ़ाने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आज यहां सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि इन सिफारिशों का उद्देश्य 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए 51.46 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करना है। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को निजी निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के उद्देश्य से एक समयबद्ध योजना बनानी चाहिए। 12वीं योजनावधि में परियोजनाओ में करीब 47 फीसदी निवेश निजी क्षेत्र से आकर्षित करने का लक्ष्य है। रिपोर्ट में कहा गया कि 11वीं योजनावधि में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी में 37.53 फीसदी थी जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 62.47 फीसदी थी जो 12वीं योजनावधि में सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान घटकर 53.32 फीसदी हो जाने की उम्मीद है।

रेल, बिजली, कोयला, गैस आपूर्ति, दूरसंचार और राजमार्ग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई किस्म के सुधार की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कर चलना चाहिए कि 12वीं योजनावधि के दौरान कम से कम 51 लाख करोड़ रुपए का निवेश उपलब्ध हो जाएगा ।

रिपोर्ट में कहा गया कि जिंसों एवं सेवाओं, खास कर उर्जा क्षेत्र में दरें तो व्यावहारिक रखनी ही होंगी। रिपोर्ट के मुताबिक बिजली क्षेत्र में निवेश के प्रवाह को बरकरार रखने के लिए शुल्क को व्यावहारिक स्तर पर रखना होगा। साथ ही शुल्क संग्रह की दक्षता बढ़ानी होगी और नुकसान कम करना होगा। समिति ने रेल, बंदरगाह, हवाईअड्डे और राजमार्ग जैसे क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के संवर्धन की जरूरत पर भी बल दिया गया। इसमें कहा गया कि ईंधन की लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर भी डालना चाहिए ताकि बिजली वितरण कंपनियों के बढ़ते नुकसान को रोका जा सके।

समिति ने अगले दो महीने में गैर आवंटन और मूल्य निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का सुझाव दिया क्योंकि और देरी से गैस से परिचालित बिजली संयंत्रों का परिचालन प्रभावित होगा। रेल किराए के संबंध में रिपोर्ट में आर्थिक रूप से अव्यावहारिक मौजूदा रेल भाड़ा को तर्कसंगत बनाने की मांग की गई जिसमें पिछले दशक भर से संशोधन नहीं किया गया है। इसमें रेल परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की ज्यादा बड़ी भूमिका और रेल बोर्ड में तब्दीली का सुझाव दिया गया है।

जहां तक दूरसंचार क्षेत्र का सवाल है तो समिति ने इस क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी करने की जोरदार सिफारिश की जो फिलहाल 74 फीसदी है। समिति की दलील है कि भारतीय भागीदारों के लिए उन कंपनियों में 26 फीसद शेयर पूंजी देने में मुश्किल आ सकती है जो अखिल भारतीय परिचालन करना चाहती हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 3, 2012, 22:14

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