Last Updated: Thursday, June 28, 2012, 22:19

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय ने वित्त मंत्रालय से आयकर कानून में पिछली तरीख से संशोधन समेत जटिल कर प्रस्तावों पर गुरुवार को स्पष्टीकरण मांगा। पिछली तरीख से कर कानून में संशोधन से वोडाफोन को कर एवं ब्याज के रूप में 20,000 करोड़ सरकार को देना पड़ेगा।
गुरुवार को प्रधानमंत्री से फिर मुलाकात करने के बाद वित्त सचिव आर एस गुजराल ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय ने कराधान मुद्दों व आयकर कानून की धारा 9 (संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर) के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। हमने उनसे दो-तीन सप्ताह का समय मांगा है।’
उन्होंने सामान्य कर परिवर्जन विरोधी नियम (गार) के क्रियान्वयन को और टाले जाने की योजना से इनकार किया। इस नियम पर घरेलू तथा विदेशी निवेशकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जतायी थी।
सरकार पहले ही गार लागू करने से जुड़े बजट प्रस्ताव को एक साल बढ़ाकर अप्रैल 2013 कर दिया है। गुजराल ने कहा कि वित्त मंत्रालय लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिये जल्द ही गार पर मसौदा दिशानिर्देश जारी करेगा।
इससे पहले, दिन में कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने आर्थिक स्थिति का जायजा लेने तथा आर्थिक वृद्धि में गिरावट थामने के लिये वित्त मंत्रालय के प्रमुख नौकरशाहों के साथ बैठक की थी।
प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद वित्त मंत्रालय में गतिविधियों में तेजी आयी है। प्रणव मुखर्जी के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्रालय का जिम्मा अपने पास रखा है। मनमोहन सिंह ने निराशावादी के माहौल को पलटने का आह्वान किया है। इस बीच, वोडाफोन इंडिया के चेयरमैन अनलजीत सिंह ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से मुलाकात की। वोडाफोन का सरकार के साथ कर 20,000 करोड़ रुपये का कर विवाद है। यह वर्ष 2007 में हुए 12 अरब डालर के हचिसन सौदा मामले से जुड़ा है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 28, 2012, 22:19