Last Updated: Monday, June 4, 2012, 20:29

नई दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को स्वीकार किया कि पेट्रोल कीमतों में बीते दिनों हुई बढ़ोतरी से कोई भी खुश नहीं है, लेकिन उन्हों ने कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह केंद्र के लिए संभव नहीं है कि बढ़ी हुई कीमतों को लेकर खुद ही वहन कर सके।
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हमने सभी राज्यों के मुख्यीमंत्रियों को बढ़ी हुई कीमतों का भार साझा करने के लिए पत्र लिखा है। गौर हो कि बीते 23 मई को तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में 7.54 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी थी।
प्रणब मुखर्जी ने पेट्रोल पर राज्यों की ओर से लगाए जाने वाले करों में 25 प्रतिशत कटौती करने की पुरजोर वकालत की ताकि इसकी कीमतों में कमी लाई जा सके। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की आज दिनभर चली बैठक के दौरान प्रणब ने अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि राज्यों को पेट्रोल की कीमतों में कमी लाने के लिए अपनी ओर से पहल करने की जरूरत है।
कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में भ्रष्टाचार और कीमतों में वृद्धि चर्चा के दौरान प्रमुखता से उठे। केपीसीसी के अध्यक्ष रमेश चेन्नीथला ने पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि करने के लिए पेट्रोलियम कंपनियों को आड़े हाथों लिया। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब केरल में उपचुनाव होने हैं।
वित्त मंत्री ने आज कहा कि सरकार के लिए इस समय वित्तीय प्रोत्साहन देने की गुंजाइश नहीं है पर उन्होंने उम्मीद जताई कि कच्चे तेल की कीमत घटने और मानसून सामान्य रहने से आर्थिक हालात सुधारने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि देश का उद्योग जगत औद्योगिक गतिविधियों में अप्रत्यशित गिरावट के मद्देनजर सरकार और रिजर्व बैंक से कर रियायत व ब्याज दर में कमी की अपील कर रहा है।
उन्होंहने कहा कि इस समय सक्रिय राजकोषीय पहल की गुंजाइश ज्यादा नहीं बची है। वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जबकि घरेलू उद्योग जगत आर्थिक गतिविधियों में गिरावट के मद्देनजर वित्तीय और मौद्रिक प्रोत्साहन तथा आर्थिक सुधारों को गति देने की अपील कर रहा है। वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि के 6.5 फीसद रह गई जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 8.4 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में औद्योगिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रह गयी जो पिछले नौ साल की न्यूनतम तिमाही औद्योगिक वृद्धि है।
मुखर्जी ने कहा कि 2012-13 में दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की गई है और हाल के सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत में तेज गिरावट हुई है। इन बातों से घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में सुधार में मदद मिलनी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 4, 2012, 20:29