पेट्रोल, डीजल पर मूल्य नियंत्रण हटाना सब के हित में: प्रणब

पेट्रोल, डीजल पर मूल्य नियंत्रण हटाना सब के हित में: प्रणब

पेट्रोल, डीजल पर मूल्य नियंत्रण हटाना सब के हित में: प्रणबनई दिल्ली : पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढाने के हाल के निर्णयों पर तीखी बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि इन उत्पादों के घरेलू दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरुप रखना उपभोक्ता और निवेशक दोनों के हित में है। गौरतलब है कि सरकार ने सरकारी खजाने पर सब्सिडी का बोझ हल्का करने के लिए अभी पिछले महीने ही डीजल के दाम 5.62 रुपये लीटर बढ़ाये हैं तथा सस्ते रसाईं गैस सिलेंडर की आपूर्ति भी एक साल में छह पर सीमित कर दी है। सरकार के इस निर्णय का जगह जगह अब भी विरोध किया जा रहा है जबकिअंतरराष्ट्रीय कीमत के हिसाब से तेल कंपनियों को अभी भी डीजल पर 11.05 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है।

राष्ट्रपति ने यहां विज्ञान तेल एवं गैस उद्योग पर भारत के 10वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन पेट्रोटेक.2012 का उद्घाटन करते हुये कहा अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदाथोर्ं की कीमतों में तेजी के मौजूदा परिवेश में मूल्यों को अधिक से अधिक वैश्विक बाजार के अनुरुप रखना उपभोक्ता और निवेशक दोनों के हित में है। पेट्रोलियम इंर्ंधन के मामले में भारत की वैश्विक बाजार भारी निर्भरता की ओर संकेत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, वैश्विक वित्तीय बाजार की तरह दुनिया का उर्जा क्षेत्र भी एक दूसरे पर निर्भर है और कोई देश इससे अपने को अलग नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि देश का पेट्रोलियम आयात 150 अरब डालर के पार पहुंच चुका है। अपने ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें तीन चौथाई कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल के दाम नियंत्रणमुक्त कर दिये थे और डीजल के दाम भी बाजार पर छोड़ने को सिद्धांत रुप में स्वीकार किया था।

राष्ट्रपति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने की दिशा में पेट्रोलियम पदाथोर्ं की बेहतर मांग प्रबंधन पर भी जोर दिया। उन्होंने तेल एवं गैस उद्योग से भी कहा कि वह लक्ष्य हासिल करने में सरकार की मदद करे। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरुप रखने के साथ साथ उन्होंने जनता से भी इस सच्चाई को समझने पर जोर दिया कि बेहतर भविष्य के लिये उर्जा खपत और इसकी लागत तथा उपलब्धता के बीच बेहतर संतुलन बिठाने की आवश्यकता है।

मुखर्जी ने कहा कि एक तरफ उर्जा की बढ़ती मांग का जोर है जबकि दूसरी तरफ सीमित संसाधनों की चुनौती है। इस स्थिति को देखते हुये उर्जा क्षेत्र की नीतियों को नया रुप देने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि तेल एवं गैस क्षेत्र में 1999 से नई तेल उत्खनन लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) आने के बाद से तेल गैस के 87 स्रोतों खोज हुई है और इस क्षेत्र में 14 अरब डालर का निवेश हुआ है। इसके अलावा भारत पेट्रोलियम पदाथोर्ं का बड़ निर्यातक बनकर भी उभरा है। कच्चे तेल के बढ़ते आयात से देश में 21.5 करोड़ टन रिफाइनिंग क्षमता स्थापित हुई है और इससे छह करोड़ टन पेट्रोलियम पदाथोर्ं का निर्यात किया गया जिससे 60 अरब डालर की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।

प्रणब मुखर्जी ने यह भी कहा कि सरकार कोयला खानों से मीथेन गैस, पुरानी नरम चट्टानों से शेल गैस, समुद्र की गहराईयों में मिलने वाले गैस हाइड्रेट और जैव ईंधन की उपलब्ध संभावनाओं का दोहन करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही हे। विदेशों में तेल और गैस संपत्तियां हासिल करने वाली कंपनियों को भी पूरा समर्थन दिया जा रहा है। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 15, 2012, 16:28

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