पॉस्को को लौह अयस्क लाइसेंस देने से जुड़ा आदेश दरकिनार-SC vacates stay on Posco, ask Centre to take call

पॉस्को को लौह अयस्क लाइसेंस देने से जुड़ा आदेश दरकिनार

पॉस्को को लौह अयस्क लाइसेंस देने से जुड़ा आदेश दरकिनारनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओडिशा उच्च न्यायालय के उस आदेश को दरकिनार कर दिया जिसमें दक्षिण कोरयिाई इस्पात कंपनी पॉस्को को प्रदेश में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र के लिए सुंदरगढ़ जिले में खंडधार पहाड़ी में लौह अयस्क लाइसेंस आवंटित करने संबंधी राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी गयी थी।

न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की पीठ ने केंद्र से कहा कि है वह इस वृहद् इस्पात संयंत्र से जुड़े सभी पक्षों की आपत्तियां पर विचार करे और फैसला करे।

उच्च न्यायालय लौह अयस्क खानों के आवंटन के मामले में ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और एक अन्य खनन कंपनी की और से एक दूसरे के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था।

ओडिशा राज्य सरकार और जियोमिन मिनरल्स एंड मार्केटिंग लिमिटेड ने ओडिशा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में खंडधार पहाड़ियों में करीब 2,500 हेक्टेयर क्षेत्र में लौह अयस्क खनन के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को पलट दिया था।

उच्च न्यायालय ने 14 जुलाई 2010 को जियोमिन मिनरल्स की याचिका पर राज्य सरकार के फैसले को दरकिनार कर दिया था।

जियोमिन मिनरल्स ने उच्च न्यायालय के सामने दलील दी थी कि उसने पॉस्को के अवेदन से बहुत पहले खंडधार लौह अयस्क खानों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार ने 1987 से पहले केंद्र सरकार की अनुमति के बिना जो भी खनन क्षेत्र आरक्षित किया है वह आरक्षित नहीं माना जाएगा।

राज्य सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ 29 अक्तूबर 2010 को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। इसमें कहा गया कि पोस्को को खान एवं खनिज (विकास एचं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 11 (5) के तहत लाइसेंस दिया गया था। उच्चत न्यायालय उसे रद्द नहीं कर सकता। (एजेंसी)

First Published: Friday, May 10, 2013, 15:57

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