Last Updated: Sunday, June 9, 2013, 15:54

नई दिल्ली : निवेशकों को ऊंचे लाभ के झांसे में फंसाने वाली पोंजी योजनाओं पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नए नियामक बनाने की बजाय बेहतर निगरानी के पक्ष में है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि मौजूदा कानूनों को कारगर ढंग से लागू कर इस समस्या से बचा जा सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में राज्य सरकारों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
सुब्बाराव ने मौजूदा कानूनी ढांचे में किसी प्रकार की खामी हो तो उसे समीक्षा कर के दूर किया जा सकता है। धोखाधड़ी को केवल नियमन में संशोधन करने रोक पाना संभव नहीं है। ऐसे में कानूनों का प्रभावी अनुपालन महत्वपूर्ण हो जाता है।
पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, तमिलनाडु, दिल्ली, बिहार, असम और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में पोंजी योजनाओं के जरिये निवेशकों के साथ हजारों करोड़ रुपये की ठगी के मामले प्रकाश में आने के बाद सुब्बाराव ने यह बात कही है।
सुब्बाराव ने कहा कि इस बारे में जो भी समस्याएं सामने आई हैं वे मुख्य रूप से अवैध और गैरकानूनी योजनाओं से संबंधित हैं। उन्होंने कहा, ‘समस्या नियमानुसार परिचालित योजनाओं के साथ नहीं है। समस्या गैर कानूनी योजनाओं के साथ है। गैरकानूनी योजनाओं की परिभाषा यह है कि वे नियम से नहीं चलायी जातीं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 9, 2013, 15:54