Last Updated: Friday, November 25, 2011, 12:24
नई दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक के सख्त मौद्रिक उपायों के कारण मुद्रास्फीतिकारी दबावों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है जबकि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति कम होने के संकेत हैं।
लोकसभा में हमीदुल्ला सईद और प्रह्लाद जोशी के प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए रेपो दर में मार्च 2010 के बाद से 13 बार वृद्धि की है। मौद्रिक दबावों के कारण सितंबर 2010 से न्यूनतम मूल उधार दर (बीपीएलआर) और जुलाई 2010 से आधार दर में बढोत्तरी की गई है।’
प्रणब ने कहा कि समग्र मांग को नियंत्रित करके मौद्रिक नीति आगे बढ़ती है। अन्य मौद्रिक उपायों के साथ-साथ रेपो दर में बढ़ोत्तरी होने से मुद्रास्फीतिकारी दबावों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है, वहीं अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति के कम होने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा कि समग्र मांग कम होने का प्रभाव ब्याज संवेदी क्षेत्रों जैसे रीयल एस्टेट सेक्टर, उपभोक्ता सामानों और आटोमोबाइल क्षेत्र पर अपेक्षाकृत अधिक पड़ा है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 25, 2011, 17:54