Last Updated: Monday, June 11, 2012, 17:40
नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने आज कहा केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से राज्य के लिए विशेष पैकेज के संबंध में मुलाकात की लेकिन बातचीत अधूरी रही। दो घंटे से अधिक चली बैठक के बाद मित्रा ने संवाददाताओं से कहा, बातचीत चल रही है। जब चर्चा पूरी हो जाएगी हम मुख्य मंत्री से बात करेंगे।
पिछले साल जुलाई में सत्ता में आई ममता बनर्जी की सरकार केंद्रीय ऋणों पर ब्याज स्थगन आदि के रूप में विशेष वित्तीय पैकेज की मांग करती रही है। बनर्जी की पार्टी केंद्रीय सत्तारूढ गठबंधन संप्रग का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ममता ने विशेष पैकेज का मुद्दा खुद प्रधानमंत्री के सामने उठाया और केंद्र को इस संबंध ढकी-छुपी धमकी भी दे रखी है। राज्य सरकार पर करीब दो लाख करोड़ रुपए का ऋण है और उस पर उसे सालाना ब्याज के तौर पर 22,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है।
मुखर्जी ने मई में राज्य सभा में मई में एक चर्चा के दौरान कहा था कि यदि पश्चिम बंगाल ने 12वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक 2005 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) कानून बना लिया होता तो उसे राहत मिल गई होती।
पश्चिम बंगाल ने हालांकि 2011 में एफआरबीएम कानून पारित किया और भारत के नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक इस देरी के कारण राज्य सरकार को 2005 से 2010 के दौरान 3,158 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता का नुकसान हुआ।
सीएजी रपट में कहा गया था कि राजकोषीय उत्तरदायित्व कानून लागू करने में देरी के कारण राज्य को 2005 से 2010 के दौरान ऋण सहायता, ब्याज भुगतान सहायता और ऋण माफी के तौर पर 3,157.90 करोड़ रुपए की राहत नहीं मिल पाई।
इधर केंद्र ने तीन ऋण ग्रस्त राज्यों -पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल की समस्याओं पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। मुखर्जी ने संसद से भी कहा था कि वह पश्चिम बंगाल को तरजीह नहीं दे सके जबकि वह खुद उसी राज्य से हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 11, 2012, 17:40