‘प्रतिस्पर्धा के दौर में सहकारिता को पेशेवर बनाना अनिवार्य’

‘प्रतिस्पर्धा के दौर में सहकारिता को पेशेवर बनाना अनिवार्य’

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के सचिव मोहन मिश्र का कहना है कि सहकारिता संस्थाओं को अब पेशेवराना रुख भी अख्तियार करना होगा तभी वे निजी क्षेत्र के साथ बढती प्रतिस्पर्धा में अपने सामाजिक एवं आर्थिक दायित्वों का समुचित निर्वाह करते हुए खुद का विकास कर सकती हैं।

मिश्र ने कहा कि देश में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहकारी क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा, ‘‘देश में करीब छह लाख की संख्या में सहकारी संस्थायें हैं और लगभग 23 करोड़ लोग इसके सदस्य हैं। अमूल डेयरी, कृभको, इफ्को, नाफेड जैसे सहकारी संस्थाओं के सफल प्रयोग ने देश की तरक्की में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन आज के बदलते प्रतिस्पर्धी दौर में सहकारी संस्थाओं को अधिक पेशेवर बनाने की आवश्यकता है ताकि यह अपने सामाजिक एवं आर्थिक दायित्वों को बेहतर तरीके से निभाते हुए देश में समावेशी विकास को और मजबूती प्रदान कर सके।’’ मिश्र ने बताया कि अर्थव्यवस्था में सहकारिता क्षेत्र की अहम भूमिका को देखते हुए राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये इस क्षेत्र के लिए मानव संसाधन का विकास कर रही है।

उन्होंने कहा कि आज इस काम के लिए पूरे देश में 20 सहकारी प्रबंधन संस्थान कार्यरत हैं तथा एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था ‘बैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट’ पुणे में कार्यरत है। ये सभी संस्थायें सहकारी संस्थाओं के नेतृत्वकारी शक्तियों के अलावा सहकारिता क्षेत्र के विभिन्न घटकों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम देश भर में आयोजित करती हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 23, 2012, 19:50

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