प्रतिस्पर्धा से विमानन उद्योग खस्ताहाल - Zee News हिंदी

प्रतिस्पर्धा से विमानन उद्योग खस्ताहाल

नई दिल्ली: भारतीय विमानन उद्योग को 2011 में विरोधाभासी स्थितियों का सामना करना पड़ा। एक ओर जहां घरेलू हवाई यातायात बढ़ा वहीं यह उद्योग ईंधन की उंची लागत और कड़ी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करते हुए सरकारी मदद के लिये गुहार लगाता रहा।

 

भारत ने इस साल देश में हवाई यात्रा सुविधा का शताब्दी वर्ष मनाया वहीं नागर विमानन मंत्रालय को अजित सिंह के तौर पर एक पूर्णकालिक मंत्री साल के आखिर में ही मिला। उन्होंने मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे वायलार रवि से मंत्रालय का कामकाज संभाला।

 

वर्ष के दौरान तीन प्रमुख हेलीकॉप्टर दुर्घटनायें भी हुई और तीनों की तीनों पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुई। इनमें से एक दुर्घटना में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की मृत्यु हो गई। इस साल विमानन क्षेत्र से जुड़ा फर्जी पायलट बनने का एक बड़ा घोटाला भी सामने आया। फर्जी दस्तावेज के आधार पर पायलट लाईसेंस प्राप्त किये गये। घोटाले के कारण हवाई यात्रा की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया। इस मामले में 23 लोग गिरफ्तार हुये जिनमें पायलट, नागर विमानन महानिदेशालय के कर्मचारी और मध्यस्थ शामिल थे।

 

वर्ष के दौरान एयर इंडिया की उड़ानें वेतन और भत्ते के भुगतान के संबंध में अप्रैल-मई के दौरान पायलटों की हड़ताल के कारण बाधित भी रहीं। इसके अलावा एयर इंडिया और किंगफिशर की उड़ानें कुछ दिनों के लिए बाधित रहीं क्योंकि सरकारी तेल कंपनियों ने जेट इर्ंधन के लिए रोजाना भुगतान की मांग करते हुए हवाईं ईंधन की आपूर्ति रोक दी। कुमार ने कहा कि जहां तक ब्याज दर की बात है तो भारतीय एमएसएमई नुकसान की स्थिति में हैं।

 

उन्होंने कहा ‘‘हम अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। 13 से 15 फीसद की ब्याज दर ने हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित किया है जबकि अन्य देशों में यह छह से आठ फीसद है।’’ एमएसएमई क्षेत्र के उपक्रमों का बंद होना जारी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2011 तक 91,400 छोटी इकाइयों ने अपना परिचालन बंद किया जबकि 13,000 इकाइयां 2010-11 में जुड़ीं।

 

इन इकाइयों के बंद होने की वजह वित्तीय मुश्किलें थीं। बदलते कारोबारी माहौल, मांग में कमी, बेकार हो चुकी प्रौद्योगिकी, कच्चे माल की उपलब्धता में कमी, बुनियादी ढांचे की दिक्कत, अपर्याप्त व देर से मिला रिण और प्रबंधकीय दिक्कतों के कारण ये इकाइयां बंद हुईं।

 

सरकार ने इस क्षेत्र की मदद करने की कोशिश की लेकिन इसे पहुंचने में थोड़ा वक्त लगेगा। नीति के क्षेत्र में मंत्रिमंडल ने एमएसएमई के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को मंजूरी दी। इसके तहत केंद्रीय मंत्रालयों, विभाग उपक्रमों में ठेकों और कुल खरीद का 20 फीसद हिस्सा सूक्ष्म और छोटे उपक्रमों के लिए सुरक्षित किया गया। इस 20 फीसद में से चार फीसद हिस्सा अनुसूचित जाति-जनजाति की इकाइयों के लिए आरक्षित किया गया।

 

भारतीय लघु एवं मध्यम उपक्रम परिसंघ के अध्यक्ष वी के अग्रवाल ने कहा ‘ब्याज की लागत बढ़कर 50 फीसद हो गई। मांग में कमी के कारण एमएसएमई प्रभावित हुआ।’  (एजेंसी)

First Published: Monday, December 26, 2011, 15:19

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