Last Updated: Saturday, August 17, 2013, 20:29

नई दिल्ली : आर्थिक वृद्धि और रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति पर छिड़ी तीखी बहस के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज वैश्वीकरण और वित्तीय समस्याओं से घिरी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति की सीमाओं और संभावनाओं पर नये सिरे से गौर किये जाने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने समष्टिगत आर्थिक नीति निर्माण, उसके लक्ष्य और साधनों को लेकर नई सोच से काम करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने रेसकोर्स रोड स्थित अपने आवास पर आरबीआई ‘हिस्ट्री-लुकिंग बैक एण्ड लुकिंग एहेड’ के चौथे खंड का अनावरण करने के बाद कहा, मेरा मानना है कि अब समय आ गया है जब हमें वैश्वीकरण की इस दुनिया में वित्तीय अड़चनों से घिरी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति की सीमाओं और संभावनाओं के कुछ क्षेत्रों पर नये सिरे से गौर करना चाहिये। उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक नीति निर्माण, लक्ष्य और साधन दूसरा अन्य क्षेत्र है जहां ‘मैं समझता हूं कि नई सोच की जरूरत है।’ कार्यक्रम में रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर डी. सुब्बाराव, पूर्व गवर्नर डा. सी. रंगराजन, अमिताभ घोष, वाई.वी. रेड्डी, वर्तमान और पूर्व डिप्टी गवर्नर, वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा और जे.डी. सलीम और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि रिजर्व बैंक के गवर्नर पद के लिये नामित रघुराम राजन सहित, भविष्य में बनने वाले गवर्नर, इनमें से कुछ क्षेत्रों पर गौर करेंगे। रघुराम राजन भी इस अवसर पर श्रोताओं में मौजूद थे।रिजर्व बैंक की मुद्रास्फीति की चिंता को लेकर सख्त मौद्रिक नीति के रास्ते पर चलने और सरकार की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की प्राथमिकता को लेकर छिडी बहस के बीच प्रधानमंत्री की ये टिप्पणियां काफी महत्व रखती हैं।
सुब्बाराव ने हालांकि, अपने संबोधन में इस अवधारणा को ‘गलत और अनुचित’ बताया कि रिजर्व बैंक पर केवल मुद्रास्फीति की धुन सवार है और वृद्धि की चिंताओं पर उसका ध्यान नहीं है। मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और बड़े देश में सामाजिक और आर्थिक बदलावों को आगे बढ़ाने के लिये एक हद तक राष्ट्रीय सहमति कायम किये जाने की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक की प्रशंसा करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि, इस संस्थान ने देश की पूरी क्षमता के साथ सेवा की है लेकिन फिर भी सबसे बेहतर अभी होना बाकी है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का इतिहास आजादी के बाद से भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी है और इस दौरान केन्द्रीय बैंक ने मौद्रिक एवं रिण नीतियों को दिशा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में रिण सुविधा पहुंचाने में जो भूमिका निभाई है उसके लिये देश को उसपर गर्व है। प्रधानमंत्री ने 4 सितंबर को सेवानिवृत होने जा रहे मौजूदा गवर्नर सुब्बाराव को शुभकामनायें देते हुये कहा कि उन्होंने रिजर्व बैंक और देश की पूरी लगन एवं निष्ठा के साथ सेवा की।
रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभालने जा रहे रघुराम राजन का स्वागत करते हुये मनमोहन ने कहा, राजन के रूप में हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एक बेहतर अर्थशास्त्री मिला है, मुझे पूरी उम्मीद है कि उनके गवर्नर बनने के बाद रिजर्व बैंक नई उंचाइयों को छुएगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर सुब्बाराव ने इस अवसर पर अपने संबोधन में इस बात को, मुद्दों की गलत तरीके से व्याख्या करना बताया कि सरकार का काम आर्थिक वृद्धि को देखना है जबकि केन्द्रीय बैंक मूल्य स्थिरता पर ध्यान देता है। सुब्बाराव ने कहा कि यह एक और गलत व्याख्या करना है कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच टकराव रहता है और नीति बनाते समय किसी को भी इनके बीच दोनों में से एक का चुनाव करना पड़ता है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 17, 2013, 20:29