Last Updated: Monday, September 2, 2013, 17:09
मुंबई : रिजर्व बैंक गवर्नर पद से दो दिन बाद सेवानिवृत होने जा रहे डी. सुब्बाराव के योगदान की देश के प्रमुख बैंकरों ने सराहना की है। बैंकरों का कहना है कि सुब्बाराव के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था काफी मुश्किल दौर से गुजरी है और उन्होंने इसे संभालने का हर संभव प्रयास किया। निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी शिखा शर्मा ने कहा, मेरा मानना है कि गवर्नर का पांच साल का कार्यकाल वैश्विक और घरेलू तौर पर सबसे मुश्किल दौर वाला रहा है। यदि आप आज दुनिया को और अपने देश को देखेंगे तो आपको काफी बदलाव दिखाई देगा और मुझे नहीं लगता कि ऐसे में कोई और बेहतर कर सकता है (सुब्बाराव से)। सुब्बाराव रिजर्व बैंक गवर्नर के पद से 4 सितंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। वह पांच साल तक इस पद पर रहे और इस दौरान वैश्विक मंदी की शुरआत हुई। इस मंदी से अभी भी विश्व अर्थव्यवस्था नहीं उबर सकी है।
सुब्बाराव के पद संभालते ही, वैश्विक निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स ने दिवालिया घोषित किये जाने के लिये आवेदन कर दिया। इससे पूरी दुनिया में बैंकिंग प्रणाली को झटका लगा, अप्रत्याशित रिण संकट की शुरआत हुई और अंतत: यह भारी मंदी के रूप में सामने आई। इसके बाद कठिन दौर की शुरुआत हुई। रिजर्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को इस समस्या से बचाने के लिये सरकार तथा अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ मिलकर बेहतर तालमेल बिठाते हुये काम किया।
सुब्बाराव के कार्यकाल में वैश्विक मंदी के दौरान जहां एक तरफ राजकोषीय और मौद्रिक प्रोतसाहन पैकेज के जरिये अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बनाये रखने का प्रयास किया गया वहीं दूसरी तरफ इससे मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ने लगी। इसके बाद रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2010 से नीतिगत दरें बढ़ानी शुरू कर दी। इस दौरान आर्थिक वृद्धि की गति भी धीमी पड़ने लगीं लेकिन नीतिगत दरों में वृद्धि जारी रही।
सुब्बाराव का कार्यकाल जैसे जैसे समाप्ति की ओर बढ़ने लगा देश की आर्थिक वृद्धि में सुस्ती आने से चिंता बढ़ने लगी। इस दौरान मुद्रास्फीति के भी उच्चस्तर पर बने रहने से केन्द्रीय बैंक के लिये परिस्थितियां और जटिल हो गईं। मई 2013 के अंत में गवर्नर की परेशानी उस समय और बढ़ गई जब डालर के मुकाबले रुपया गिरने लगा। पिछले सप्ताह ही डॉलर के समक्ष रपया अब तक के सबसे निचले स्तर 68.85 रुपये प्रति डॉलर तक गिर गया।
एचडीएफसी बैंक के प्रमुख आदित्य पुरी ने कहा, मैं उनका काफी सम्मान करता हूं, उनका कार्यकाल कठिनाई भरा रहा है और हम इसे इस तरह से कह सकते हैं घटना के बाद तो सबकी बुद्धि खुल जाती है। मेरा मानना है कि उन्होंने बेहतर काम किया है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा, एक बात जिसके बारे में पूरी चर्चा नहीं हुई है वह यह कि उन्होंने (सुब्बाराव) ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में चार प्रतिशत अंक की कमी की है, मेरे हिसाब से पांच साल की अवधि में यह काफी उल्लेखनीय है। चौधरी जो कि सीआरआर समाप्त किये जाने का वकालत करते रहे हैं, उन्होंने कहा कि इसमें कमी लाने की वजह से ही सुब्बाराव के कार्यकाल के शुरआती दौर में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 2, 2013, 17:09