Last Updated: Tuesday, December 20, 2011, 10:00
नई दिल्ली : योजना आयोग ने बंदरगाह नियमन प्राधिकार विधेयक के तहत छोटे-मंझोले बंदरगाहों को प्रमुख बंदरगाह शुल्क प्राधिकार (टैम्प) के दायरे में लाने के जहाजरानी मंत्रालय के प्रस्ताव का विरोध किया है। आयोग को आशंका है कि इससे इन बंदरगाहों का कारोबार प्रभावित होगा। जहाजरानी सचिव के मोहनदास ने कहा कि योजना आयोग का तर्क है कि शुल्क आदि के नियमों से मुक्त हो कर काम कर रहे छोटे-मंझोले बंदरगाहों का वृद्धि के लिहाज से प्रदर्शन बेहतर रहा है और उनका परियोजना कार्यान्वयन भी ज्यादा तेज है।
मोहनदास ने कहा कि आशंका है कि इनको (टैम्प) नियमन के तहत लाने से नरमी आएगी। योजना आयोग के साथ साथ राज्यों या जहाजरानी उद्योग ने भी इन छोटे-मंझोले बंदरगाहों पर शुल्क नियमन के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा मानना है कि छोटे-मझोले बंदरगाहों के सेवा मानकों आदि का नियमनद राज्यों के सामुद्रिक बोर्ड के हाथ में ही अच्छा रहेगा।
कुछ राज्यों का मानना है कि उनके राज्य सामुद्रिक बोर्ड ही छोटे-मंझोले बंदरगाहों पर शुल्क संबंधी मामलों से निपटने के लिए काफी हैं। फिलहाल सिर्फ उड़ीसा, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र में ही सामुद्रिक बोर्ड हैं।
विशेष तौर पर गुजरात सरकार ने पूरे विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे देश में बंदरगाह के विकास पर नकारात्मक असर होगा।
मोहनदास ने कहा कि राज्यों को मुख्य तौर पर मानना है कि राज्य सामुद्रिक बोर्ड ही आंशिक तौर पर नियामक भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला करने से पहले जहाजरानी मंत्रालय इस प्रस्ताव पर सभी संबद्ध पक्षों से परामर्श करेगा।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 20, 2011, 15:30