Last Updated: Tuesday, February 28, 2012, 09:00
बेंगलुरु : कॉरपोरेट मामलों के मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा है कि भारत में 1991 में आर्थिक उदारीकरण के साथ-साथ यदि ठोस विनियमन व्यवस्था भी कर दी गई होती तो कंपनी जगत में बड़े घपले घोटालों से बचा जा सकता था।
मोइली ने कहा कि वर्ष 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को अपरिहार्य और अनिवार्य परिस्थितियों में उदारीकरण की घोषणा करनी पड़ी थी। देश को उस समय बैंक ऑफ इंग्लैंड में सोना गिरवी रखना पड़ा था। मोइली यहां ‘भारत में कॉरपोरेट क्षेत्र का भविष्य’ विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘..लेकिन (उदारीकरण के) ऐसे कदम अन्य तैयारियों के साथ ही उठाए जाने चाहिए।’ मोइली ने कहा कि चूंकि भारत में उदारीकरण की नीतियों के साथ ‘इस तरह की (नियमन) व्यवस्था’ लागू नहीं की गई इसलिए वृद्धि बेरोक टोक चलती रही। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि अच्छी बात है, पर इसके कई पहलू होते हैं, मसलन सबको साथ लेना और विनियमन। उन्होंने कहा कि वृद्धि संतुलित और सतत होनी चाहिए।
मोइली ने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि वृद्धि सतत रहे तो प्रशासन की एक प्रक्रिया है। बाजार प्रतिस्पर्धारोधी ताकतों को खत्म करने की प्रक्रिया। साथ-साथ वृद्धि कई को दूसरी विनियामकीय व्यवस्थाओं के साथ-साथ हासिल करना होगा।’ मोइली ने कहा कि कंपनी अधिनियम 1956 बहुत पुराना अधिनियम है और जितनी जल्दी हो सके, इसकी जगह नया अधिनियम लाना चाहिए। अब कंपनी अधिनियम 2011 की तैयारी हो रही है।
मोइली ने कहा, ‘1991 के तत्काल बाद हमें 1956 का अधिनियम समाप्त कर नया अधिनियम लाना चाहिए था। ऐसा होता तो आज कॉरपोरेट जालसाजी की जो समस्याएं हैं, वह नहीं होतीं।’ सम्मेलन का आयोजन ईटीवी कन्नड़ और ईटीवी उर्दू चैनलों ने किया था। मोइली ने उम्मीद जताई कि अगले माह के आखिर में होने वाली मंत्रिमंडलीय बैठक में प्रतिस्पर्धा नीति को मंजूरी दे दी जाएगी। इस नीति से आर्थिक वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी तथा मुद्रास्फीति पर लगाम लगाई जा सकेगी।
मोइली ने कहा कि एक राष्ट्रीय कॉरपोरेट गवर्नेन्स नीति भी बनाई जाएगी। सभी पक्षों से विचार विमर्श के बाद संभवत: छह माह में यह नीति तैयार कर ली जाएगी। उन्होंने माना कि उच्च स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए कोई तंत्र नहीं है। ‘कई बार हम उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार देखते हैं। लेकिन इससे निपटने के लिए कोई तंत्र नहीं है।’
मोइली ने कहा कि सरकारी खरीद के बारे में पाकिस्तान तक में कानून बना है, लेकिन भारत में इस बारे में अब एक नीति को मंजूरी दी गई है और कानून अभी बनाया जाना है। यह तब है जबकि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा सालाना 12 लाख करोड़ रुपए की खरीददारी की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद के बारे में स्पष्ट नीति और कानून के लागू होने के बाद भ्रष्टाचार की 75 फीसदी गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 28, 2012, 14:42