Last Updated: Tuesday, September 4, 2012, 22:49

नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने गहरे समुद्री क्षेत्र में तेल खोज के लिए बिना बोली मंगाए रिलायंस इंडस्ट्रीज से खुदाई मशीन सीधे किराए पर लेने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की खिंचाई की है।
कैग की संसद में मंगलवार को पेश रिपोर्ट में कहा गया, ओएनजीसी ने निविदायें आमंत्रित करने के अपने निर्धारित मानक से हटते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड से उसके धीरुभाई डीपवाटर केजी-1 रिग को बिना प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाए चार वर्ष के लिए किराये पर ले लिया।
ओएनजीसी ने मई 2009 में प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाए बिना रिलायंस इंडस्ट्रीज से उसके डीडीकेजी-1 को जुलाई 2013 तक चार वर्ष के लिए किराए पर लिया।
ओएनजीसी को नेल्प दौर की नीलामी में गहरे समुद्री क्षेत्र में ब्लॉक मिला था। दिसंबर 2008 में कंपनी ने गहरे पानी में खुदाई के लिए रिग मशीन की आवश्यकता जताई।
कैग के अनुसार वास्तव में यह रिग मशीन रिलायंस ने अक्तूबर 2007 में डीपवाटर पेसिफिक-1 से जुलाई 2009 से जुलाई 2014 तक पांच साल के लिए ली थी। मार्च 2009 में रिलायंस ने मशीन को ओएनजीसी के साथ बांटने की इच्छा जताई और उसे त्रिपक्षीय समझौते के तहत उसी दर और शर्तों पर ले लिया। इसके लिए कंपनी को जुलाई 2009 से लेकर अक्तूबर 2011 के बीच 8.11 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान करना पड़ा।
कैग ने कहा है कि कंपनी ने रिग लेने के लिए कोई बोली आमंत्रित नहीं की और जुलाई 2009 में आपात स्थिति बताकर बिना बोली के रिलायंस से रिग को किराए पर ले लिया।
लेखापरीक्षक के अनुसार ओएनजीसी को अन्य रिग मशीन ‘प्लेटीनम एक्सप्लोरर’ दिसंबर 2010 के बाद मिलने वाली थी। ऐसे में कुओं की खुदाई दिसंबर 2010 के बाद हो सकती थी।
कैग के अनुसार, सरकार ने इन कुओं की खुदाई के लिए कंपनियों को पहले ही मई 2011 तक का समय दे दिया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 4, 2012, 22:49