बीमा क्षेत्र में FDI बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता में: चिदंबरम । P Chidambaram

बीमा क्षेत्र में FDI बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता में: चिदंबरम

बीमा क्षेत्र में FDI बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता में: चिदंबरम वाशिंगटन : वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उच्चतम सीमा बढाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इस बारे में संशोधन विधेयक चालू बजट सत्र में पारित हो जाएगा। उन्होंने यहां पेटर्सन संस्थान के एक कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते बीमा उद्योग की सराहना की कि उसने विपक्षी दलों के साथ मिलकर अपनी बात रखने का प्रयास किया है। वित्तमंत्री को उम्मीद है कि इससे राजनीतिक दलों को इस मुद्दे को समझने और प्रस्तावित विधेयक को संसद में मंजूर कराने में मदद मिलेगी।

चिदंबरम ने कहा कि ‘‘यदि मुख्य विपक्षी दल तैयार हो जाए तो विधेयक पारित हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि संसद का यह सत्र फिर 22 अप्रैल को शुरू हो रहा है। कार्यसूची में यह विषय (बीमा क्षेत्र में एफडीआई) सबसे उपर है। हम अब एक उपबंध को लेकर अटके हुये हैं कि एफडीआई की सीमा 26 प्रतिशत रहे या इसे बढ़ाकर 49 फीसद कर दिया जाए। ’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘अभी मैं दम साधे हुये हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि विपक्ष से बातचीत करने का बीमा उद्योग का प्रयास मददगार सिद्ध होगा और मैं विधेयक पारित करवा सकूंगा। ’’

चिदंबरम ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के महत्व को रेखांकित करते हुये कहा कि बिना वृद्धि के न तो विकास होगा और न ही समावेशीपन आएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि जबतक कांग्रेस सत्ता में है वह आर्थिक वृद्धि के महत्व को स्वीकार करेगी, क्योंकि उसी से समावेशी विकास संभव होगा। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप इस चीज को समझ जाएंगे, तो आप राजकोषीय घाटे को सीमित रखने, मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने और अनावश्यक खचरे को सीमित रखने के महत्व को समझेंगे, क्योंकि (आर्थिक वृद्धि को निरंतर बनाये रखने के लिए) आपको अपना हिसाब किताब काफी हद तक संतुलित रखने की जरूरत होती है।’’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर राज्यों को अब समझ में आ गया है कि कार्यक्रम का क्रियान्वयन बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘10 साल पहले तक ज्यादातर सरकारें दोबारा नहीं जीत पाती थीं। जब आप पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके होते थे, तो अगले चुनाव में आपका हारना कमोबेश तय था। पर भारत में 10 साल से स्थिति बदल गयी है। सरकारें दोबारा चुनाव जीतने लगी हैं। केन्द्र की सरकार भी 2009 में बड़े मत से दोबारा सत्ता में आने में कामयाब हुयी। उसके बाद से गुजरात, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, असम, मिजोरम, मेघालय और ओडिशा की सरकारें भी दोबारा सत्ता में आने में कामयाब रहीं। ’

चिदंबरम ने कहा कि चुनाव नतीजों की इस प्रवृत्ति से राजनीतिक नेताओं और पार्टियों की सोच बदली है। उन्हें लगने लगा है कि उनके लिए दोबारा चुनाव में हारना एक मात्र रास्ता नहीं है। वे दोबारा और तिबारा भी चुन कर आ सकते हैं। चिदंबरम ने कहा कि आप बारीकी से देखें तो ‘‘जिन सरकारों की छवि अच्छा काम करने की रही है, वे दोबारा चुनी गयी हैं। उन्होंने कहा कि क्रियान्वयन का बुखार धीरे धीरे ज्यादा राज्यों को चढ़ने लगा है और यह शुभ लक्षण हैं। ’’ जरूरत है तो लालफीताशाही, नीतिगत और प्रक्रियागत बाधाओं को दूर करने की। इसी बीच ब्रिक्स देशों के वित्तमंत्रियों की यहां कल बैठक हुयी।

बैठक में चिदंबरम ने कहा कि ब्रिक्स विकास बैंक के गठन की तैयारियां 12 महीने में पूरी हो जाएंगी और इस बारे में अंतिम निर्णय की घोषणा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कर दी जाएगी। इस समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों के वित्तमंत्री अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की ग्रीष्मकालीन सालाना बैठक के सिलसिले में यहां जमा हुये हैं। चिदंबरम ने कहा, ‘‘ब्राजील में अगली शिखर बैठक में जाने से पहले हम अपना होमवर्क पूरा कर लेंगे। ’’ उन्होंने कहा कि बैंक की स्थापना की तैयारियों के सिलसिले में अधिकारियों की बैठक होगी, कानूनी फर्मो की नियुक्ति की जाएगी, अवधारणा पत्र तैयार किये जाएंगे और हम उस समझौते का मसौदा देखेंगे, जिसपर अंतिम हस्ताक्षर किये जा सकते हैं। हम निश्चित रूप से यह काम 12 महीने में अंजाम दे देंगे। उन्होंने ब्रिक्स बैंक के विचार को बड़ी अवधारणा बताया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, April 20, 2013, 14:29

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