बैंकों के ऋण पुनर्गठन पर रिजर्व बैंक ने दिखाई सख्ती

बैंकों के ऋण पुनर्गठन पर रिजर्व बैंक ने दिखाई सख्ती

बैंकों के ऋण पुनर्गठन पर रिजर्व बैंक ने दिखाई सख्तीमुंबई : बिजली, कपड़ा और विमानन क्षेत्र की खस्ताहाली से बैंकों पर कर्ज पुनर्गठन के बढ़ते दबाव को देखते हुये रिजर्व बैंक ने इसके नियम सख्त कर दिये हैं। माना जा रहा है कि कंपनियों के करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये के कर्ज पुनर्गठन के आवेदन बैंकों के समक्ष हैं। रिजर्व बैंक ने कर्ज पुनर्गठन के एवज में बैंक की तरफ से किये जाने वाले अलग प्रावधान को दो प्रतिशत से बढ़ाकर 2.75 प्रतिशत कर दिया। इससे बैंकों के मुनाफे पर बुरा असर पड़ सकता है।

केन्द्रीय बैंक ने दूसरी तिमाही की मौद्रिक समीक्षा में कहा, पुनर्गठित मानक खातों में प्रावधान राशि को तुरंत प्रभाव से मौजूदा 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.75 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जल्द जारी किये जायेंगे।

रिजर्व बैंक आंकड़ों के अनुसार कंपनियों के कर्ज पुनर्गठन मामले जो मार्च 2009 में 225 थे, मार्च 2012 तक बढ़कर 392 पर पहुंच गये। पुनर्गठन मामलों की संख्या बढ़ने के साथ ही इनसे जुड़ी कर्ज राशि भी 95,815 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,06,493 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

मौद्रिक नीति में कहा गया है, वित्तीय स्थिरता के व्यापक उद्देश्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाये जा रहे सबसे बेहतर उपायों पर गौर करते हुये बैंकों के पास विभिन्न जोखिमों से निपटने के लिये उचित कोष हो। रिजर्व बैंक के इस कदम की शेयर बाजार में भी त्वरित प्रतिक्रिया हुई। बंबई शेयर बाजार का बैंकेक्स सूचकांक तीन प्रतिशत लुढ़क गया। स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, पंजाब नेशनल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के शेयरों में गिरावट से बैंकिंग क्षेत्र का सूचकांक नीचे आ गया। एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंकों में भी गिरावट दर्ज की गई।

बिजली, कपड़ा, रीएल्टी और विमानन क्षेत्र की कंपनियां आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही हैं। ये कंपनियां समय पर कर्ज लौटाने में अक्षम साबित हो रही हैं, ऐसे में बैंकों पर उनके कर्ज को पुनर्गठित करने का दबाव है अन्यथा काफी कर्ज गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) की मद में चला जायेगा। बैंकों के कारोबार पर उसका बुरा असर होगा। कुछ आलोचकों ने तो इसे बैंकों की सोची समझी रणनीति बताया है ताकि बैंकों का एनपीए बढ़ने से बच सके।

केन्द्र सरकार ने पिछले महीने ही सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के 1.9 लाख करोड़ रुपये के ऋण पुनर्गठन प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कपड़ा क्षेत्र के लिये भी 40,000 करोड़ रुपये का नया रिण पुनर्गठन प्रस्ताव जल्द आने वाला है।

पवन उर्जा कंपनी सुजलॉन ने कल ही कहा कि वह 14,000 करोड़ रुपये के रिण का पुनर्गठन करेगी। संकटग्रस्त मीडिया घराना डेकन क्रोनिकल का 5,000 करोड़ रुपये, कर्ज के बोझ तले दबी किंगफिशर एयरलाइंस का 8,000 करोड़ रुपये का एनपीए और मुंबई के जूम डेवलपर्स का करीब 2,000 करोड़ रुपये का कर्ज ऐसे कई मामले हैं जो बैंकिंग उद्योग पर भारी पड़ रहे हैं।

रिजर्व बैंक ने कंपनियों की रिण पुनर्गठन (सीडीआर) प्रणाली पर सुझाव देने के लिये कार्यकारी निदेशक बी. महापात्रा की अध्यक्षता में एक कार्यसमूह का गठन किया था। कार्यसमूह ने अपनी सिफारिशें सौंप दीं हैं जिसपर रिजर्व बैंक ने प्रतिक्रिया आमंत्रित की हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 30, 2012, 17:13

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