Last Updated: Saturday, March 23, 2013, 19:04

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को सरकारी और कापरेरेट बांड में निवेश के लिये तय विभिन्न उप-सीमाओं को खत्म कर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश नियमों को सरल बनाने की घोषणा की ताकि चालू खाते के घाटे की भरपाई के लिये और अधिक विदेशी मुद्रा आकर्षित की जा सके।
उन्होंने यहां संपादकों के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा,‘चालू खाते के घाटे (कैड) के लिए सिर्फ विदेशी प्रवाह के जरिए धन जुटाया जा सकता है और इसलिए मुझे सरकारी प्रतिभूतियों और कापरेरेट बांड में विदेशी निवेश को तार्किक बनाए जाने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।’
सोने के अधिक आयात और निर्यात में नरमी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान चालू खाते का घाटा जुलाई से सितंबर अवधि में 4.5 फीसद रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। देश में विदेशी मुद्रा की आवक और बाहरी प्रवाह के अंतर को चालू खाते का घाटा कहते हैं।
सरकारी प्रतिभूतियों और कापरेरेट बांड में प्रत्येक में एफआईआई निवेश सीमा पांच अरब डॉलर बढ़ा दी गई है जिससे सरकारी प्रतिभूतियों में एफआईआई निवेश की कुल सीमा बढ़ाकर 25 अरब डॉलर और कापरेरेट बांड में 51 अरब डॉलर हो गई है।
उन्होंने कहा,‘निवेश की इस सीमा में विभिन्न प्रकार के निवेश की अलग-अलग सीमायें हैं, इसे व्यवस्थित करने के लिए मौजूदा उप-सीमाओं का विलय कर सिर्फ दो बड़ी श्रेणी बनाने का प्रस्ताव किया गया है।’
एकश्रेणी में सरकारी प्रतिभूतियां में 25 अरब डॉलर की निवेश सीमा होगी जिसमें पुरानी सरकारी प्रतिभूतियों व दीर्घकालिक सरकारी प्रतिभूतियों सभी को एक साथ मिला दिया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 23, 2013, 19:04