Last Updated: Thursday, March 29, 2012, 09:46
नई दिल्ली : पांच उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने गुरुवार को अपनी मुद्रा में आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किया। साथ ही ब्रिक्स के नेताओं में एक विकास बैंक की स्थापना के लिए एक संयुक्त कार्यबल को लेकर सहमति बनी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ, रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव, ब्राजील के राष्ट्रपति डिल्मा रॉसेफ और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने चौथे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वैश्विक शासन व्यवस्था में सुधार और वैश्विक मुद्दों पर सामंजस्य बनाने पर चर्चा की।
पांच देशों के विकास बैंकों ने ताज पैलेस होटल में अपने-अपने नेताओं की मौजूदगी में स्थानीय मुद्राओं में कर्ज देने के लिए एक समझौते और ब्रिक्स बहुपक्षीय सरल ऋण कनफरमेंशन सुविधा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन बैंकों में शामिल हैं एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया, ब्राजील का बैंको नेशनल डि डिजनवोलिमेंटो इकोनोमिको ई सोशल (बीएनडीईएस), रूस का स्टेट कारपोरेशन बैंक फॉर डेवलपमेंट एंड फॉरेन इकनॉमिक अफेयर, चाइना डेवलपमेंट बैंक और बैंक ऑफ साउथ अफ्रीका।
समझौते से ब्रिक्स देशों का आपसी व्यापार काफी बढ़ सकता है। पिछले कुछ सालों से ब्रिक्स देशों के आपसी व्यापार में 28 फीसदी की दर से विकास हो रहा है। अभी यह व्यापार 230 अरब डॉलर का है, जो कुल सम्भावना से काफी कम है। ब्रिक्स देशों ने 2015 तक आपसी व्यापार को लगभग दोगुना बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है। सम्मेलन में पांचों देशों ने एक नए विकास बैंक की स्थापना की सम्भावना को भी स्वीकार किया।
सम्मेलन के घोषणापत्र के मुताबिक ब्रिक्स नेताओं ने अपने वित्त मंत्रियों को इस विषय पर विचार करने, अगले अध्ययन के लिए संयुक्त कार्यबल की स्थापना करने तथा अगले शिखर सम्मेलन तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सम्मेलन में आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ाने के मकसद से पांचों देशों की अर्थव्यवस्था के बीच सहक्रियता तथा पूरकता पर एक ब्रिक्स रिपोर्ट भी जारी की गई। रिपोर्ट बनाने में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु की अगुआई में अलग-अलग देशों के विशेषज्ञों ने योगदान किया।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 29, 2012, 21:16