Last Updated: Sunday, December 9, 2012, 16:20

वाशिंगटन/नई दिल्ली : भारत के मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रवेश के लिए सालों से बेकरार दुनिया की प्रमुख रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने 2008 से अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग पर 2.5 करोड़ डॉलर (लगभग 125 करोड़ रुपये) खर्च किए। वॉलमार्ट ने लॉबिंग पर खर्च के बारे में अमेरिकी सीनेट को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में निवेश तथा अन्य लॉबिंग गतिविधियों पर उसने 2008 से 2.5 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं।
कंपनी ने 30 सितंबर, 2012 को समाप्त तिमाही में विभिन्न लॉबिंग पर 16.5 लाख डॉलर (लगभग 10 करोड़ रुपये) खर्च किए। इसमें भारत में एफडीआई पर चर्चा से संबंधित मुद्दा भी शामिल है। तिमाही के दौरान वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) और अमेरिकी विदेश विभाग के समक्ष अपने मामले में लॉबिंग की। अमेरिका में कंपनियों को किसी मामले में विभागों या एजेंसियों के समक्ष लॉबिंग की अनुमति है, लेकिन लॉबिंग पर हुए खर्च की रिपोर्ट तिमाही आधार पर सीनेट में देनी होती है।
वालमार्ट ने अकेले 2012 में भारत व दूसरे देशों में लॉबिंग पर 30 लाख डॉलर या 18 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वॉलमार्ट द्वारा प्रस्तुत लाबिंग खर्च के विवरण से पता चलता है कि कंपनी ने 2008 से लगातार भारत में प्रवेश के लिए लॉबिंग की है। 2009 की कुछ तिमाहियों में हालांकि उसने इस काम के लिए लॉबिंग नहीं की। सरकार ने हाल में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है। एफडीआई को लागू करने के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदन बहुमत से नामंजूर कर चुके हैं।
अमेरिका की सुपरमार्केट चेन परिचालक वॉलमार्ट स्टोर्स का सालाना कारोबार 444 अरब डॉलर का है और इसके कर्मचारियों की संख्या वैश्विक स्तर पर 22 लाख है। काफी समय से वॉलमार्ट भारत के तेजी से बढ़ते खुदरा बाजार में प्रवेश के लिए बेकरार है। भारत का खुदरा बाजार फिलहाल 500 अरब डॉलर का है। निजी आय में बढ़ोतरी तथा उपभोक्ताओं में खर्च की प्रवृत्ति बढ़ने से 2020 तक 1,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। वैश्विक सलाहकार एटी कीर्ने की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक भारत में कुल खुदरा बाजार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 25 फीसदी पर पहुंच जाएगी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 9, 2012, 13:47