Last Updated: Monday, April 23, 2012, 06:51
नई दिल्ली : गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा है कि आर्थिक सुधारों और शासन के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार कठिन समय से गुजर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर भावनाएं वास्तविकता से ज्यादा खराब है।
इस माह की 18 तारीख को भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष का पदभार सम्भालने वाले गोदरेज ने कहा, भावना, वास्तविकता से ज्यादा खराब है। निश्चितरूप से वास्तविकता भी अच्छी नहीं है, लेकिन भावना इससे अधिक बदतर है।
गादरेज ने कहा कि विकास में मंदी, सुधारों के अभाव, भ्रष्टाचार और शासन को लेकर बढ़ रही चिंताओं ने व्यापारिक भावनाओं को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा, हम चाहेंगे कि भावनाओं में सुधार के लिए सरकार काम करे। उसके बाद वास्तविकता में सुधार के लिए हम मिलकर काम करेंगे।
गोदरेज ने कहा कि प्रस्तावित कर संशोधनों और जनरल एंटी अवायडेंस रूल्स (जीएएआर) ने भावनाओं को और बदतर बना दिया है। उन्होंने कहा, पूर्व प्रभावी कर संशोधन ने एक नकारात्मक भावना पैदा की है। इस समय यह कोई अच्छा कदम नहीं है। इससे देश को नुकसान होगा।
ज्ञात हो कि पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा पेश किए गए 2012-13 के केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, जो व्यापक तौर पर प्रशासन को इस बात की छूट देगा कि वह वैश्विक विलय और अधिग्रहण के सम्बंध में होने वाले उस आदान-प्रदान पर कर लगा सकता है, जिसमें भारतीय सम्पत्तियां और हिस्सेदारियां शामिल हों।
गोदरेज ने कहा कि सीआईआई और अन्य औद्योगिक संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस तरह के कदमों से बचे, क्योंकि इससे विदेशी और घरेलू, दोनों तरह के निवेश पर असर पड़ेगा।
गोदरेज ने कहा, यदि आप किसी से कहते हैं कि भारत में निवेश के ये फायदे हैं और उसके बाद आप उन फायदों को वापस ले लेते हैं, तो यह अच्छी बात नहीं है। सीआईआई ने केंद्रीय वित्त मंत्री को दिए एक ज्ञापन में अनुरोध किया है उन्हें इस संशोधन से बचना चाहिए।
गोदरेज के नेतृत्व में सीआईआई के नए पदाधिकारियों ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की थी और उद्योग जगत की चिंताओं पर उनसे बातचीत की थी। गोदरेज ने कहा कि सीआईआई व्यापारिक वातावरण सुधारने और भावनाओं को मजबूत करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेगा।
गोदरेज ने आगे कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी), वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), कम्पनी विधेयक, और राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के क्रियान्वयन जैसे सुधारों से भावनाओं को सुधारने और अर्थव्यवस्था को वापस नौ प्रतिशत के विकास पथ पर लाने में मदद मिलेगी। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 23, 2012, 12:27