Last Updated: Wednesday, December 5, 2012, 23:41

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार पर काबू पाने के मामले में भारत की छवि में कोई सुधार नहीं आया है और ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत को 176 देशों में 94वें स्थान पर रखा गया है।
यद्यपि गत वर्ष भारत का स्थान 95वां था, अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ने कहा कि उसने इस वर्ष से स्थिति का मूल्यांकन एक अलग सूत्र से करना शुरू किया है और इसलिए इस वर्ष के स्थान की तुलना पिछले वर्ष से नहीं की जा सकती। हालांकि गत वर्ष के 95वें स्थान का यदि नये सूत्र से मूल्यांकन किया जाए तो वह 96 होगा जिसका मतलब है कि सूचकांक में हल्का सुधार हुआ था।
इस वर्ष शून्य (उच्च भ्रष्ट) से 100 (बहुत भ्रष्ट) वाले पैमाने पर भारत को 100 में से 36 अंक मिले हैं जो कि 10 अध्ययनों के औसत का परिणाम है जिसमें विश्व बैंक के देश प्रदर्शन एवं संस्थागत मूल्यांकन तथा ग्लोबल इनसाइट कंट्री रिस्क रेटिंग्स शामिल है।
वर्ष 2007 में पहली बार भारत को 180 देशों में 72वें स्थान पर रखा गया था और उसके बाद से देश के स्थान में गिरावट दर्ज की जा रही है। वर्ष 2010 में भारत का स्थान जहां 87वां था वर्ष 2011 में यह 95वां था। इस वर्ष भारत का स्थान श्रीलंका और चीन से नीचे है जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में भ्रष्टाचार के मामले में अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश का प्रदर्शन भारत से ज्यादा खराब है।
तीन दशक तक गृहयुद्ध झेलने के बाद श्रीलंका सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और वह 79वें स्थान पर जबकि चीन 80वें स्थान पर है।
डेनमार्क 90 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर है जबकि उसके बाद फिनलैंड और न्यूजीलैंड का स्थान है। दोनों देशों का प्रदर्शन आसपास है। निचले स्थान पर रहले वाले देशों में म्यामां, सूडान, अफगानिस्तान, सोमालिया और उत्तर कोरिया हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 5, 2012, 19:31