Last Updated: Sunday, October 9, 2011, 09:04
नई दिल्ली : सरकार की प्रमुख ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के कारण उद्योगों को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे मजदूरी बढ़ रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। उद्योग संगठन फिक्की ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के उद्योग और कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले असर का सर्वेक्षण किया है। इस सर्वे में सुझाव दिया गया है कि जब खेती-बाड़ी का काम जोरों पर हो तो इसे बंद कर देना चाहिए।
फिक्की ने कहा कि इकसे अलावा औद्योगिक इकाइयों में किए जाने वाले काम को भी मनरेगा के तहत शामिल किया जाना चाहिए। ये उन क्षेत्रों में विशेष तौर पर लाभकारी होगा जहां औद्योगिक गतिविधियां ज्यादा है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि मजदूरी 10 फीसद से ज्यादा बढ़ी है। मजदूरी की कमी के कारण संभावित नुकसान भी 10 फीसदी आंका गया है। इससे पहले कृषि मंत्री शरद पवार ने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यह सुझाते हुए पत्र लिखा है कि जब खेती का काम जोरों पर हो तो मनरेगा की योजना निलंबित कर देनी चाहिए। हालांकि ग्रामीण विकास मंत्रालय इन प्रस्तावों से इत्तेफाक नहीं रखता।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, October 9, 2011, 14:37