Last Updated: Wednesday, August 17, 2011, 05:50
भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले सात सालों में प्रदेश में बिजली का उत्पादन दुगने से अधिक करने का दावा करते हुए कहा है कि वर्ष 2014 तक बिजली के मामले में प्रदेश देश के पावर हब के रूप में पहचाना जायेगा. उर्जा विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश न केवल बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जायेगा, बल्कि वह अन्य राज्यों को बिजली बेचने की स्थिति में आ जायेगा.
प्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग और स्थापित क्षमता को बढ़ाने के प्रयासों के तहत मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा 1200 मेगावाट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना एवं सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी में 500 मेगावाट की विस्तार इकाइयों का कार्य शुरू कर दिया गया है. साथ ही 1600 मेगावाट क्षमता की ताप विद्युत परियोजना की स्थापना खंडवा जिले में स्थापित करने के लिये मेसर्स बीएचईएल से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है.
सूत्रों ने बताया कि विद्युत क्षेत्र में निजी निवेश को आकषिर्त करने तथा प्रदेश में विद्युत क्षमता वृद्धि के लिये 49 कंपनियों से करारनामे किये गये हैं, जिनसे 67,546 मेगावाट बिजली पैदा होगी. इनमें मुख्यत: मेसर्स बीना पावर सप्लाई कंपनी बीना, मेसर्स एस्सार पावर बैढन जिला सिंगरौली, मेसर्स जयप्रकाश पावर वेंचर्स निगरी जिला सिंगरौली, एवं मेसर्स बीएल पावर जिला नरसिंहपुर है. चार हजार मेगावाट क्षमता के सासन अल्ट्रा मेगा पावर हाउस की स्थापना रिलायंस द्वारा की जा रही है. इसके साथ ही चार हजार मेगावाट का एक सयंत्र रिलायंस द्वारा चितरंगी में स्थापित किया जायेगा.
राज्य सरकार के प्रयासों के तहत ट्रांसमिशन हानियों का स्तर 7.93 से घटकर 3.74 प्रतिशत तक आ गया है. साथ ही ट्रांसमिशन प्रणाली की क्षमता भी पांच हजार मेगावाट से बढ़कर 8331 मेगावाट हो गयी है. सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता बढ़ाने तथा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण पर पिछले पांच सालों में एडीबी ऋण योजना के तहत 2500 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. इससे ट्रांसमिशन नेटवर्क का सुदृढ़ीकरण कर विभिन्न 220 केवी, 132 केवी उप केन्द्र तथा लाइनों का निर्माण किया गया है.
First Published: Wednesday, August 17, 2011, 11:38