मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में FDI को सरकार ने दी और रियायत

मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में FDI को सरकार ने दी और रियायत

मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में FDI को सरकार ने दी और रियायतनई दिल्ली : सरकार ने विदेशी निवेशकों के लिए द्वार खोलते हुए मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में निवेश नियमों में और ढील दी। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई सीमा भी बढ़ा दी है। दूरसंचार क्षेत्र में तो 100 प्रतिशत निवेश की अनुमति प्रदान की गई।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई बैठक में मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत स्थानीय खरीद नियमों में ढील दी गई। साथ ही अब राज्य सरकारें 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में भी मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियों को अपने स्टोर्स खोलने की अनुमति दे सकेंगी।

मंत्रिमंडल द्वारा किए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल नियमों में ढील दिए जाने से निवेशकों के लिये चीजें और स्पष्ट होंगी और निवेश की गुंजाइश बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाने के संदर्भ में कुछ नहीं कहा। पिछले महीने अंतर-मंत्रालयी समूह बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने पर सहमत हुआ था।

आनंद शर्मा ने कहा कि मंत्रिमंडल ने कमोबेश उन निर्णयों को मंजूरी दी है जो 16 जुलाई को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी समूह की बैठक में किए गए थे। उन्होंने कहा कि वालमार्ट और टेस्को जैसी मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियों को कारोबार शुरू करते समय ही छोटे व मझोले उद्यमियों से उत्पादों की खरीद करनी होगी। शीत गृह जैसे सहायक सुविधाओं में निवेश के बारे में उन्होंने कहा कि निवेशक को पहले सौदे में ही 5 करोड़ डालर का निवेश करने की अनिवार्यता होगी। इसके बाद, निवेश कारोबार की जरूरतों पर निर्भर करेगा।

शर्मा ने कहा कि आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम समिति की सिफारिशें कमोबेश स्वीकार कर ली गई हैं। ‘हमें इससे एफडीआई प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है और विदेशी निवेशकों को भारतीय विदेशी निवेश नीति में अधिक भरोसा होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित तौर पर सोचता हूं कि इसका चालू वर्ष में विदेशी मुद्रा प्रवाह पर सकारात्मक असर होगा।’ सुधारों का यह दूसरा दौर 10 महीनों के भीतर आया है। उस समय सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल एवं नागर विमानन जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश के लिए द्वार खोले थे।

मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर के लिए नियमों में ढील देने के प्रस्ताव के बारे में जानकारी देते हुए शर्मा ने कहा, ‘सहायक ढांचे में एफडीआई का 50 प्रतिशत खर्च करने की शर्त निवेश की 10 करोड़ डालर की पहली किस्त पर लागू होगी। उसके बाद, निवेशक तथा उनके सहयोगी बाजार स्थिति के अनुसार फैसला करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश के मामले में सभी राज्यों को 10 लाख की आबादी वाले शहरों के अलावा दूसरे शहर शामिल करने की भी अनुमति होगी।’

आनंद शर्मा ने कहा कि जहां रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 26 प्रतिशत पर बरकरार रखी गई है वहीं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विनिर्माण में विदेशी निवेश की अधिक सीमा पर सुरक्षा से संबद्ध मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा विचार किया जाएगा और बदलावों को एफडीआई नीति में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति स्वत: स्वीकृत मार्ग के तहत होगी, इससे अधिक निवेश के लिए कंपनियों को एफआईपीबी से मंजूरी लेनी होगी।

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरियों, जिंस बाजारों, बिजली एक्सचेंजों, शेयर बाजारों व क्लियरिंग कारपोरेशनों के मामले में स्वत: स्वीकृत मार्ग के जरिए 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति होगी। वर्तमान में इन क्षेत्रों में एफआईपीबी से मंजूरी लेनी होती है। बेसिक एवं सेल्यूलर सेवाओं के मामले में एफडीआई सीमा मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की गई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक एफडीआई की स्वत: स्वीकृत मार्ग से, जबकि बाकी निवेश के लिए एफआईपीबी की मंजूरी की दरकार होगी।

इसी तरह के नियम संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों व चाय बागानों के लिए भी होंगे। कुरियर सेवाओं में स्वत: स्वीकृत मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। इससे पहले, निवेश के लिए एफआईपीबी की मंजूरी लेनी होती थी। ऋण साख सूचना फर्मों के मामले में 74 प्रतिशत एफडीआई की स्वत: स्वीकृत मार्ग के तहत अनुमति दी गई है। आनंद शर्मा ने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल नीति में बदलावों से छोटे उद्योग लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की चिंताओं को भी दूर किया जा सकेगा।

खुदरा कंपनियों को तीन साल में सहायक सुविधाओं में 5 करोड़ डालर का निवेश करना होगा जिसमें प्रसंस्करण, विनिर्माण, वितरण, डिजाइन में सुधार, गुणवत्ता नियंत्रण, पैकेजिंग, लाजिस्टिक, भंडारण, गोदाम, कृषि बाजार उत्पाद के लिए ढांचागत सुविधाएं आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भूमि की लागत एवं किराये यदि कोई हैं तो वे सहायक ढांचे में निवेश के अंतर्गत नहीं लिए जाएंगे। सहायक ढांचे में बाद के निवेश खुदरा कंपनियों की जरूरतों के आधार पर होंगे।

खरीद संबंधी नियमों के मामले में उन्होंने कहा कि खुदरा कंपनियों को उन भारतीय अति लघु, लघु व मझोले उद्योगों से 30 प्रतिशत तक उत्पादों की खरीद अनिवार्य रूप से करनी होगी जिन उद्यमियों ने संयंत्र एवं मशीनरी में कुल 20 लाख डालर का निवेश कर रखा है। पहले यह सीमा 10 लाख डालर थी। उन्होंने कहा कि 20 लाख डालर का मूल्यांकन स्थापना के समय के मूल्य के हिसाब से की जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने कहा, ‘कृषि सहकारिताओं व किसानों की सहकारिताओं से खरीद को भी इस वर्ग में समझा जाएगा।’ खरीद की जरूरत को पहली किस्त में पूरा करना होगा।

First Published: Thursday, August 1, 2013, 23:46

comments powered by Disqus