Last Updated: Monday, March 19, 2012, 08:22
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री परोसने का आरोप खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के खिलाफ आपराधिक सुनवाई शुरू करने के आदेश को भी रद्द कर दिया।
इस याचिका में कहा गया है कि माइक्रोसॉफ्ट लोगों को बातचीत या एक-दूसरे से सम्पर्क का मंच उपलब्ध नहीं कराती और न ही उनके विचारों को प्रसारित करती है। याचिका के मुताबिक कम्पनी सॉफ्टवेयर बनाने व उनकी बिक्री का काम करती है व कम्प्यूटर से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण की दिशा में काम करती है।
कम्पनी के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि माइक्रोसॉफ्ट की वेबसाइट्स पर किसी प्रकार की अपमानसूचक सामग्री प्रसारित नहीं की जाती।
गौरतलब है कि एक निचली अदालत ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ अश्लील व आपत्तिजनक सामग्री परोसने के आरोप में आपराधिक सुनवाई का आदेश दिया था। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने अदालत के इस आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता विनय राय को इस बात की स्वतंत्रता दी है कि यदि उन्हें कम्पनी के खिलाफ कोई भी विश्वसनीय सबूत मिलता है तो वह नई शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
राय ने माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, गूगल, याहू व यूट्यूब जैसी 21 वेबसाइट्स से आपत्तिजनक सामग्री हटाने की मांग को लेकर निचली अदालत में याचिका दाखिल की थी। इनमें से 12 वेबसाइट्स विदेशी कम्पनियों की हैं।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार ने कम्पनियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील किताबों व सामग्री की बिक्री) व 293 (युवाओं की अश्लील वस्तुओं की बिक्री) के तहत कथिततौर पर दंडनीय अपराध करने के मामले में सुनवाई का सामना करने के लिए सम्मन भेजा था।
निचली अदालत को शिकायकर्ता द्वारा पेश की गई सामग्री में हिंदू देवी-देवताओं, पैगम्बर मोहम्मद व ईसा मसीह की अश्लील तस्वीरें व अपमानजनक लेख मिले थे।
(एजेंसी)
First Published: Monday, March 19, 2012, 13:52